दादी की लाठी
दादी की लाठी
विक्की नाम का एक लड़का था। बहुत ही चतुर एवं गुणवान लड़का था। दादी मां का दुलार बचपन से ही, क्योंकि उनका पालन पोषण दादी अम्मा ने किया। दादी और विक्की के अलावा और कोई नहीं था ।दादी अम्मा बूढ़ी हो चुकी थी और विक्की एकमात्र सहारा था। दादी अम्मा छोटे-मोटे काम करती थी ,और दो पैसे बचा भी लेती थी ।एक दिन विक्की ने सोचा दादी अम्मा बूढ़ी हो गई अब मुझे कुछ करना चाहिए वह सोच ही रहा था तभी दादी अम्मा ने कहा बेटा मैं अब बूढी हो गई हूं अब तुझे काम करना चाहिए। अपने लिए काम खोज घर चलाने के लिए एक बहु ला विक्की ने सोच कर कहा दादी अम्मा अभी मैं शादी नहीं करूंगा ।सबसे पहले मैं अपने लिए काम खोज लूंगा और खूब पैसा कमा कर आपके लिए सुंदर बहू लाऊंगा ।
इस तरह दोनों की बातें चल रही थी तभी अचानक दादी बीमार पड़ गई दादी को देखकर विक्की ने फूट-फूट कर रोने लगा कुछ देर बाद आसपास के लोगों ने विक्की से कहा बेटा तू रो मत जा काम कर अब काम करके पैसा कमा कर अपनी दादी की इलाज करा ।बेचारा विक्की काम की तलाश में निकल पड़े काम खोजते खोजते शाम हो गया इधर दादी अम्मा देख रही थी। बेटा कब आएगा शाम होते ही दादी ने अपने पोते के लिए खाना बनाने के लिए आग जला रही थी तभी विक्की घर आया तो उसके आंसू आ गए इस बूढ़ी अम्मा को देखो बूढ़ी होने के बाद भी मेरे प्रति कितना प्रेम है।
विक्की ने सवेरे उठकर एक साहूकार के यहां काम करने लगा ।साहूकार ने उसकी काम को देख कर अपने पास सर्विस में रख लिया विक्की बहुत खुश हुआ फिर अपने बूढ़ी मां के लिए साहूकार से पैसा मांग कर एक लाठी की छड़ी खरीदा दादी मां ने लाठी की छड़ी को देखकर बहुत खुश हुआ बेटा तू बहुत अच्छा है ।तुझे भगवान सदा खुश रखे ऐसा कहकर विक्की ने उसके पैर छुए तभी अचानक साहूकार उस छोटी सी कुटिया में आ गए दोनों का प्रेम देखकर साहूकार बहुत खुश हुआ और उसे एक घर दे दिया विक्की की मेहनत और उसकी काबिलियत को देखकर साहूकार ने अपनी बेटी का विवाह विक्की से कर दिया साहूकार की बेटी ने दादी अम्मा का खूब सेवा की ।दादी अम्मा नाती नातिन बूढ़ी दादी का एकमात्र सहारा बन गया ।
