Ramesh Mendiratta

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चुनावी जंगल वाले जंगली

चुनावी जंगल वाले जंगली

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( यह जंगल उग आता है हर पांच साल के बाद और उसमे होते है तरह तरह के जंगली जानवर,आपसे कुछ मांगते हैं,बाद मे असली रंग दिखाते हैं)


 वोट मांगने आया था राम आसरे

"अपनी कहानी बताओगे तो दे दूँ शायद,वोट" मैंने कहा। " क्या संघर्ष था तुम्हारा,यहाँ तक का "

 " अजी कुछ न किया संघर्ष,सिर्फ बदला लिया बस

साब जी " राम आसरे ने कहानी शुरू की..." बस आप अपने तक रखियो यह सब...

झूठी गवाही से मुझे एक केस मे जेल हो गई। कैसे चार साल कटे बाद मे....घास खोदता था,दो रोटी भी न मिलती थएक गुंडा मिल गया,ले गया नेत्ता के पासपूछा " काम करेगा " मैं बोल्ला करूँगा

तो वो मेरे कू कुछ झंडे दे दिये

वो लेकर मैं घूमता था

नारे भी लगाता था,फ्लैने की जय 

फलाने का सत्यानाश

पत्ता नही कौन किसके लिए लगवात्ता था वो

एक रात कुछ और जाने कौन आये

ले गए,बोले ज्यादा पैसा देंगे

मैं उनके साथ चला गया

झण्डे बदले,पर काम वही

इसकी उसकी जय,सत्यानाश

पी के पड़ा रात्ता था रात को, पर सभी पार्टी एक जैसी लगी मुझे,नही तो कई औफर भी आये पार्टी लोगो से । 

क्या क्या काम ना किये मैंने,पर जब कुछ पैसा बचा लिया तो LLB मे दाखला लिया और फिर क्रिमिनल केस लड़ने लगा,फ्री मे या नाम मात्र पैसों से। 

झूठी गवाही कभी नही दिलवाता न दी ,बस यही मेरा बदला है,सेवा करूँगा बस,पत्नी की याद में"

" आगे कोई ज्यादा ना है,लोगों को पता चलता मेरी कहानी तो उनके झगड़े सुलझा देता,जेब से भी खर्चा किया, मेरा दायरा बड़ता गया,नेता लोग तो गुंडे भेज के डरावे पर मैं अलग ही लड़ रिया हूँ।लोग अब चाहते हैं की लड़ूँ election ,एम एल ऐ का सो आपके सामने हूँ,साब जी 

अगर हार भी गया तो वकील तो में हूँ ही,रोटी चलती ही रहेगी,काफी लोग हैं शुभ चिंतक मेरे "

 " ठीक है भाई जरूर दूंगा वोट " मैंने कहा और राम आसरे चला गया एक मुस्कान देता हुआ। 



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