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Renu Poddar

Children Stories

4  

Renu Poddar

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चमत्कार

चमत्कार

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इस बार नवरात्री में शीतल जी ने नौ के नौ दिन कीर्तन करवाने का फैसला किया था । जहाँ एक तरफ शीतल जी के घर में माता के कीर्तन की ज़ोर-शोर से तैयारियाँ चल रही थी

वहीं दूसरी तरफ शीतल जी का बेटा अभय उनके कहने से अपनी पत्नी सिया के पीछे पड़ा हुआ था अबॉरशन करवाने के लिए क्यूंकि सिया के लाख मना करने पर भी अभय अपने मित्र डॉ. पंकज की मदद से सिया का अल्ट्रा साउंड करवा कर आया था । अल्ट्रा साउंड करते समय पंकज ने अभय को बताया था की सिया के गर्भ में लड़की है । यह सुन कर अभय ने और शीतल जी ने उसी समय सिया के गर्भ में पल रही बच्ची को मरवाने की सोच ली थी । सिया ने उन लोगों को लाख समझाया की यह सब गैर-क़ानूनी है । सिया उन लोगों के आगे रोइ-गिड़गिड़ाई पर अभय ने कह दिया कि "तू क्या चाहती है, मैं यहाँ बच्चों की लाइन लगा दूँ । अभी दूसरी लड़की करूँ फिर तीसरा चांस लेने में तू ड्रामा करेगी की मेरे शरीर में एक और बच्चा करने की जान नहीं है, अगर एक बच्चा और कर भी लिया तो तीन बच्चों का खर्च कहाँ से उठाएंगे"? उन लोगों ने साफ़ कह दिया कि "दूसरी बेटी किसी कीमत पर घर में नहीं आने देंगे"। सिया ने डॉ. पंकज को डांटते हुए कहा "अगर मैं आपकी पुलिस में कंप्लेंन कर दूँ, तो आपका लाइसेंस रद्द हो सकता है"। पंकज ने कहा "भाभी मैंने तो अभय और आंटी को समझाने की बहुत कोशिश की थी पर वो माने ही नहीं । अभय ने मुझे अपनी दोस्ती का वास्ता दिया इसलिए मुझे यह सब करना पड़ा"। सिया को तो टैस्टिंग करवाने से पहले सपने में देवी माता बहुत प्रसन्न दिखी थी, फिर उसे समझ नहीं आ रहा था कि माता उसकी कैसी परीक्षा ले रही हैं कि उसका पति और उसकी सास बच्ची को मरवाने के पीछे पड़ गए ।

सिया ने उन्हें बहुत समझाया की "आज आप एक बच्ची को मारोगे तो हमारी सात पीढ़ियाँ उसकी सजा भोगेंगी", पर उन्होंने कुछ भी न सुनने की ठान ली थी ।

सिया ने अभय से कहा "आज आप इसलिए बच्चा मरवाना चाहते हो कि वो एक लड़की है । कल की क्या गारन्टी है कि अगली बार जो बच्चा होगा वो लड़का होगा । अगर वो भी लड़की हुई तो आप उसे भी मरवा देना ऐसे कितनी बच्चियों को मरवाओगे ? तुम इंसान नहीं हैवान हो । सिया ने गुस्से में अभय को बोला तो अभय ने कस के सिया के मुंह पर चांटा मारा । सिया कीर्तन की तैयारी तो करवा रही थी पर उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे । बहुत ही भारी मन से वो सब कुछ कर रही थी, क्यूंकि अभय ने अगले दिन की डॉक्टर से अबॉरशन की डेट ले ली थी सिया की माँ ने भी कह दिया था की "अब रहना तो तुझे अपनी ससुराल में ही है, इसलिए जैसा वो चाहते हैं, वैसा ही कर"। सिया चारों तरफ से निराश हो गयी थी । अब उसने बस देवी माता के आगे ही अपना दुखड़ा सुनाने की सोच ली थी । उसने माँ से कह दिया "माँ अब सब तेरे ही हाथ में है । पूरे कीर्तन में सिया माता से यही मानती रही की माँ "मुझे डॉक्टर के पास जा कर अपनी बच्ची को नहीं मरवाना । मैं तो एक छोटे से कीड़े को भी मारने से पहले दस बार सोचती हूँ फिर मैं अपनी बेटी को कैसे मरवाऊँ । माँ या तो इन लोगों की बुद्धि पलट दे, या मुझे सीढ़ियों से गिरा दे ताकि मेरा बच्चा खुद से मर जाये । मुझे उसे नहीं मरवाना पड़े । मुझे पता है, ये लोग उसे इस दुनिया में नहीं आने देंगे । अगर वो इस दुनिया में आ भी गई तो ये मेरा और उसका जीना मुश्किल कर देंगे । सिया की आँखों में आंसू देख शीतल जी उसके पास आई और उससे बोली "यहाँ बैठी-बैठी अपनी मनूसिहत मत फैला"। सिया का मन तो कर रहा था कि बोल दे अपनी सास से कि "माता को अपने घर क्यों बुला रही हो जब एक तरफ कन्या को मरवा रही हो पर वह घर की इज़्ज़त के लिए चुप रही"।

सिया जल्दी से उठकर अपने कमरे में चली गयी । वहां उसकी भाभी नीना बैठी थी । सिया अपनी भाभी के गले लग कर बहुत रोई । उसकी भाभी को सब पता था नीना ने सिया के आंसू पोछते हुए कहा "दीदी आप घबराओ नहीं, मेरी एक सहेली डॉ. है । मैंने उससे  आपके बारे पूछा था । उसने बताया है कि कभी-कभी ढ़ाई महीने में बच्चे का सैक्स ठीक से पता नहीं चलता । इसलिए आप एक हफ्ते बाद फिर से एक अल्ट्रा साउंड करवाना" । यह सुन कर सिया की जान में जान आई । उसने अभय को जब सब बताया तो अभय ने गुस्से में उसे देखते हुए कहा "ऐसा कुछ नहीं होता पर फिर भी तुम्हे और तुम्हारी भाभी को यकीन नहीं है, तो एक हफ्ते बाद अल्ट्रा-सॉउन्ड करवा लेना पर कल का अपॉइंटमेंट डॉ. को फोन कर के तुम ही कैंसिल करो । सिया ने डॉ. को फोन कर के बोल दिया कि अभी वो कुछ दिन के लिए बाहर जा रही है, फिर आ कर उनसे मिलेगी । ऐसे ही करते-करते नवरात्री का नौवां दिन आ गया । कन्या पूजन चल रहा था उधर अभय सिया को डॉ. के पास अल्ट्रा-साउंड के लिए ले जा रहा था । पूरे रास्ते वह सिया पर चिल्लाता रहा । सिया चुप रही और यही सोचती रही "माँ अब तेरा ही सहारा है"। डॉ. ने सिया का अल्ट्रा साउंड कर के बताया की उसके पेट में लड़का है ।

अभय को तो विश्वास ही नहीं हुआ, क्यूंकि यह डॉ नीना ने बताई थी इसलिए उसे लगा इन दोनों ने डॉ. को पैसे खिला दिए हैं । लेकिन सिया को आज माँ की शक्ति पर पूरा विश्वास हो गया था । अभय सिया को हर वक़्त यही कहता रहता था कि "अगर लड़की हो गयी, तो चली जाइयो अपनी लड़की को लेकर मेरे घर से । सिया यह सुन कर रोने लगती थी । बेचारी के दिन काटने मुश्किल हो रहे थे । आखिर वह समय आ ही गया जब सिया ने एक लड़के को जन्म दिया । अभय और शीतल जी बहुत खुश थे । ख़ुशी तो सिया को भी हो रही थी कि अगर उस दिन उस गलत रिपोर्ट की वजह से उसने अबॉरशन करवा लिया होता, तो आज ये नन्हा मासूम इस दुनिया में कैसे आता । सिया के मन में जहाँ बच्चे के लिए प्यार उमड़ रहा था, वहीं  अभय और अपनी सास से उसे घृणा हो रही थी । मज़बूरी वश अपने दोनों बच्चों के भविष्य के लिए उसे उनके साथ रहना तो था ही पर उसकी नज़रों से वह दोनों गिर चुके थे।


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