चींटी का फ़ोटो
चींटी का फ़ोटो
“अंकल आप के घर में कौन कौन है ? ” पाँच साल के कृष्णा ने दिनेश से अपनी साफ़ आवाज़ में पूछा ।
मैं , मेरी बीवी और मेरा बीस साल का बेटा । और तुम्हारे घर में ? दिनेश को मज़ा आने लगा , यूँ तो दिनेश को बच्चे ख़ास पसंद नहीं थे , ख़ास कर स्कूल गोइंग उम्र के , इतवार को सर्दियों की धूप खाने पार्क में आया था ।
"मैं यानि कृष्णा वर्मा , मम्मी सारिका वर्मा , पापा जुगल वर्मा और मेरी बहन साक्षी वर्मा ।" कृष्णा की स्पष्ट आवाज़ का दिनेश भी क़ायल हो गया ।
"तो तुम्हारे घर में सब वर्मा है ?" दिनेश ने आँखें फाड़ने का नाटक किया ।
"हाँ अंकल ! सब वर्मा है ," जोश से अपनी आँखें चमकाते हुए कृष्णा बोला । "पता नहीं कैसे , पर सब वर्मा हैं ।"
"चलो चींटी ढूँढते हैं ?" दिनेश को कृष्णा बहुत मज़ेदार लगा । दिनेश पार्क की घास में झूठ मूठ चींटी ढूँढने का नाटक करने लगा ।कृष्णा पूरी तन्मयता से चींटी ढूँढने लगा ।पाँच मिनट तक नाटक करने के बाद दिनेश ने गहरी साँस छोड़ते हुए घोषणा की “ नहीं मिल रही , लगता है चींटी कि भी आज छुट्टी है ।”
"अभी मिलेगी अंकल" , कृष्णा ने मानो ठान ली कि चींटी ढूँढ के ही मानेगा । “ ऐसा करते हैं ! एक गड्डा बनाते है , ऐसे — अपनी उँगली से कृष्णा ने एक छोटा सा गड्डा ज़मीन पर बनाया , चींटी इसमें गिर जायेगी , फिर आप उसको देख लेना । ”
"अगर नहीं गिरी गड्डे में तो ?? "
"देखिए , मैं गड्डे को घास से ढक देता हूँ , चींटी सोचेगी यहाँ गड्डा नहीं है और गिर जायेगी फिर आप घास उठा कर देख लेना ।" कृष्णा आँखें चमकाते हुए बोला । “ पर आप को चींटी क्यों देखनी है ? अच्छा उसकी फ़ोटो खींचनी है आपको ? फिर आप घास हटा कर फ़ोटो खींच लेना ।"
"तो मैं कल सुबह आ कर फ़ोटो खींच लूँ ?" दिनेश ने सोचने की मुद्रा बनाई ।
"नहीं अंकल , रात के बारह बजे आना ! मेरे पापा ने बताया है , तब हो सकता है चींटी सो रही हो । सोते हुए फ़ोटो अच्छी आएगी । हिलेगी नहीं ना , वैसे तो भाग भी सकती है ।"
"ठीक है ! "मन ही मन हँसते हुए दिनेश बोला ।