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डाॅ.मधु कश्यप

Children Stories

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डाॅ.मधु कश्यप

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बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम

बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम

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"अरे मेकअप तो देखो आंटीजी का,कोई कहेगा आज इनकी तीसवीं सालगिरह है। वैसे भी इन लोगों की तो उल्टी गंगा ही बहती है पूरी काॅलनी में। सभी पच्चीसवीं सालगिरह मनाते हैं, ये तीसवीं मना रहे हैं। बनारसी लाल साड़ी, चमचमाती चूड़ी और मेकअप तो देखो। सुना है पार्लर वाली आई थी आंटी जी को तैयार करने।" मीता ने मुँह बिचकाते हुए कहा, जो पूरे काॅलनी में बीबीसी न्यूज़ एंकर के नाम से जानी जाती थी।

"तुझे क्यों इतनी प्राॅबलेम हो रही है? वो लाल साड़ी पहने या पीली। पार्टी एन्जॉय कर और खाना खा। पहले पता होता आंटी जी को कि तू उनकी इतनी खिंचाई करेगी तो वे तुझे बुलाती ही नहीं।" स्वाति ने उसे डाँटते हुए कहा ।

"तुझे तो हमेशा मैं ही बुरी दिखती हूँ, क्या गलत बोला मैंने?”

"सही भी नहीं बोला। अच्छा चुप कर, देख आंटी जी आ रही हैं ।"

"कैसे हो तुम सब? कुछ खाया पिया या नहीं? पार्टी कैसी है? अच्छी लगी न तुम लोगों को?"

"हाँ, आंटी जी, बहुत बढ़िया है। शादी की सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो आपको और अंकल जी को। बहुत बढ़िया इंतजाम किया है आप लोगों ने और आप भी बहुत खूबसूरत और प्यारी लग रही हैं।" स्वाति ने खुश होते हुए कहा।

"क्या तुम भी स्वाति। मुझे तो लगा सब कहेंगे वो देखो बूढ़ी घोड़ी, लाल लगाम।" आंटीजी हँसते हुए बोलीं। "ये सब बच्चों की जिद थी। बेटी, बहू, दामादजी सभी जोर देने लगे कि हर बार आप लोग पैसे बचा लेते हो। इस बार तो जेब ढीली करनी होगी, वरना इस बुढ़ापे में कौन सालगिरह मनाता है?वो भी इतने धूमधाम से। ऊपर से मुझे इतना तैयार भी करवा दिया सबने, मानो आज मेरी शादी हो। तुम लोग भी क्या सोच रहे होगे?क्यों मीता "।


मीता के चेहरे पर अचानक से एक भाव आ रहा था एक जा रहा था। वह मन ही मन सोचने लगी कहीं आंटी जी ने उसकी बातें तो नहीं सुन ली। वह स्वाति को चकित भाव से देखने लगी। स्वाति ने उसे आँखों ही आँखों में शांत रहने को कहा और आंटी जी के बात का जवाब देने के लिए कहा।

"नहीं आंटी जी, आप बहुत अच्छी लग रही हैं,सजने सँवरने की कोई उम्र थोड़े होती है,वैसे भी आज आपकी सालगिरह है, हक बनता है आपका। आप हमेशा अपने दिल की सुनिए और बच्चों की, हमेशा खुश रहिए। अंकलजी कहाँ हैं? उन्हें भी बधाई दे दें हम।"

"हाँ, हाँ क्यों नहीं, उधर हैं वे अपने दोस्तों के साथ।" मीता जल्द से जल्द वहाँ से भाग जाना चाह रही थी क्योंकि वह आंटी जी का सामना नहीं कर पा रही थी। उसे अपनी घटिया सोच और कथनी पहले बहुत शर्म आ रही थी और किसी से तो वह यह सब कह नहीं पाती पर स्वाति से कहने में वह खुद को रोक नहीं पाई।

"साॅरी स्वाति, मैंने आंटी जी के बारे में बहुत गलत बात कह दी। मुझे बहुत बुरा लग रहा है।"

"कोई बात नहीं यार! तुझे पछतावा हुआ, ये बहुत बड़ी बात है। सबको अपनी लाईफ एन्जॉय करने का पूरा हक है। खूबसूरत होने की कोई उम्र नहीं होती। फिर हम कौन होते हैं कुछ कहने वाले। वैसे भी "कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना" गाना सुना है ना? तो लोगों के डर से क्या हम जीना और खुश रहना छोड़ दें? नहीं न! इसलिए छोड़ो ये सब बातें, चल आइसक्रीम खाते हैं। तेरी फेवरेट वाली रखी है आंटी जी ने। अब तो अपना मूड ठीक कर।" और दोनों चल दी आइसक्रीम खाने।



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