Madhu Kaushal

Children Stories

5.0  

Madhu Kaushal

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"बुढ़ापे की सनक"

"बुढ़ापे की सनक"

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आज भी टहलने पार्क जाते समय वही बुढ़िया मां दिखाई दी जो रास्ते में पड़े हुए धागे रस्सियां और पॉलिथीन को बीन रही थी मैंने सोचा या तो यह पागल है या सनकी, कुछ लोग पूछते भी अम्मा क्या कर रही हो?? पर वह चुप रह जाती। 1 दिन रास्ते में पड़े तार से मेरा पांव उलझ गया और मैं गिर पड़ा पुलिया पर बैठी अम्मा बोली बेटा में इसीलिए सड़क पर बिखरी हुई रस्सी और तार और पन्नियां हटाती हूं। एक बार में गिर पड़ी थी तो मेरी हड्डी टूट गई थी 6 महीने में ठीक हुई थी भगवान सबको कुशल रखे । परवश होकर जीना बहुत कठिन है


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