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Prabodh Govil

Others

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Prabodh Govil

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बसंती की बसंत पंचमी- 15

बसंती की बसंत पंचमी- 15

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अब श्रीमती कुनकुनवाला की दिनचर्या में रोज़ के कामों में अलावा ये एक काम और जुड़ गया कि वो जॉन पर नज़र रखें।

लॉकडाउन के बीच ऐसा तो कुछ हो ही नहीं सकता था कि लड़का घर से बाहर कहीं जाए या कोई लड़की उससे कहीं मिलने आ जाए। इस बात का ध्यान खुद सरकार और पुलिस रख ही रही थी। गली - गली में कर्फ्यू था। एक गली खुलती तो दूसरी बंद हो जाती। सड़क पर चिल्लाती हुई पुलिस वैन घूमती कि घर से बाहर न निकलें।ऐसे में जॉन की निगरानी रखना कोई मुश्किल काम नहीं था। मगर इस उम्र के लड़के को अगर एक बार लड़की से बात करने का चस्का लग गया तो बात ख़तरनाक भी हो सकती थी। आजकल मोबाइल फोन भी तो एक खतरा है, जाने बच्चे कब क्या कर बैठें। लड़का लड़की दिन भर बातें करेंगे तो गाड़ी पटरी से उतरने में देर ही कितनी लगेगी?

लेकिन दिन भर में वैसे ही दस समस्याएं हैं। ये क्या नया झमेला लेकर बैठ गईं श्रीमती कुनकुनवाला!सारे घर में झाड़ू, पोंछा, बर्तन, कपड़े, नाश्ता, खाना चाय दूध... और ऊपर से अकेले कमरे में हाथ में मोबाइल लिए ये जवान छोकरा जॉन! और फ़ोन के दूसरी तरफ़ लड़की! खतरा तो है।

जब श्रीमती कुनकुनवाला काम से थक कर चूर हो जाती तो उनका दिमाग़ कहता - अरे जाने दो बाबा! लड़का अपने घर में है न? और लड़की उसके घर में।

क्या कर लेंगे ज़्यादा से ज़्यादा? फ़ोन ही तो है। अरे, पर ... इतनी देर क्या बात... उनकी कनपटी तप जाती।

और आज तो ग़ज़ब ही हो गया।



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