हरि शंकर गोयल

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हरि शंकर गोयल

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बरसात

बरसात

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बरसात का जिक्र होते ही मन मयूर नाच उठता है । ऐसा लगता है कि जैसे जीवन में खुशियों की बहार आ गई है । पर ये बरसात भी बड़ी अजीब है । कहीं ज्यादा तो कहीं कम । कहीं बाढ़ ला देती है तो कहीं अकाल ।समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों होता है ? 


प्यार भी बरसात की तरह है । किसी के नसीब में कम तो किसी के नसीब में ज्यादा । कोई कोई तो मरुस्थल की तरह तपता हुआ रेत का टीला बन गया है । बदलियां भी उसके आसपास आने से कतरातीं हैं। उसने ऐसा क्या अपराध कर दिया जो सारी बदलियां उसके चारों ओर मंडरा कर उसे चिढ़ाती हैं और प्यार की वर्षा और कहीं जाकर कर देतीं हैं । 


कुछ जगह ऐसी हैं जहां बदलियां मरी जा रहीं हैं बरसात करने के लिए । वो पहाड़ी अपने सौन्दर्य पर अभिभूत हैं और बदलियों को चुनौती देती है कि यदि तुम में सामर्थ्य है तो मेरे ऊपर से बिना बरसे निकल कर दिखाओ । लेकिन बदलियां हैं कि चैलेंज लेने को तैयार नहीं हैं ‌। वे तो पहाड़ी की हरियाली और सौंदर्य पर ही मर मिटी हैं और उसी पर बरस जातीं हैं। बाढ़ आ रही है वहां पर । पहाड़ी कहती हैं , बस करो देवियों मुझ पर । अब और कितना बरसोगी मुझ पर । बदलियां फिर भी बरस रहीं हैं। 


विवाहित लोगों की स्थिति बड़ी अजीब होती है । एक बदली पर उस व्यक्ति का नाम लिख कर उसे उसके लिए आरक्षित कर दिया जाता है । वो बेचारा आदमी "बरसात" के लिए तरसता ही रहता है लेकिन बरसात नहीं होती है । 


आरक्षित बदली को फुरसत ही नहीं है । सुबह से भाग दौड़ शुरू हो जाती है उसकी जो देर रात तक चलती रहती है । वह जैसे ही बरसने को तैयार होती है एक दो नन्हे मुन्ने बादल उससे आके चिपट जाते हैं । बरसने को तैयार बदली उन बच्चों में घिर कर रह जाती है । बंजर जमीन इंतजार करती रहती है कि अब बरसात होगी , अब होगी , लेकिन .... 


 फिर प्यासी जमीन किसी दूसरी बदली को आकर्षित करने की कोशिश करती है। कभी कभी वह कामयाब हो जाती है कभी नहीं होती है । जब कामयाब हो जाती है तो समस्या खड़ी हो जाती है । दोनों बदलियों में लड़ाई होती है । इस चक्कर में नन्हे बादल बहुत परेशान रहते हैं और फिर वे कभी भी आदर्श बादल नहीं बन पाते हैं । 


कुछ बदली ऐसी भी होती हैं जौ पहले तो खूब बरसती हैं लेकिन बाद में वे सूख जाती हैं और बरसना बंद कर देतीं हैं इसलिए ऐसी बदली या तो खुद अलग हो जातीं हैं या कर दी जाती हैं और आसमान में अकेले अकेले भटकती रहती हैं। 


बरसात ही जीवन है। रिमझिम फुहार जीवन संगीत। इसमें भीगना ही सर्वोच्च आनंद है। कुछ लोग इस आनंद को जिंदगी भर भोगते हैं । कुछ लोग अपने बरामदे में खड़े खड़े बरसात को देखते रहते हैं पर वे कभी उसमें भीगते नहीं है। ये लोग कभी भी वैसा आनंद ले ही नहीं पाते हैं। ऐसे लोगों को भीगने से एलर्जी है । ये लोग वैसे ही होते हैं जो नदी के किनारे पड़े पड़े आनंद लेते हैं लेकिन नदी में नहीं उतरते हैं । 


बहुत बड़ा दर्शन है बरसात का । "जिन खोजा तिन पाइया " वाले सूत्र के अनुसार मैंने इतना ही खोजा है । जब कभी और गहरे उतरूंगा तब कुछ मोती और लेकर आऊंगा। 



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