बरमुड़ा डे
बरमुड़ा डे
बचपन से ही साहसी मानसी को जोखिमपूर्ण यात्राओं पर जाना बहुत ही पसंद था । मानसी ने बरमुड़ा ट्रायंगल के बारे में बहुत सी कहानियाँ सुनी हुई थी ;वह स्वयं वहाँ एक बार जाना चाहती थी । मानसी ने भारतीय नौकायन संस्था में प्रवेश लिया और वहाँ जहाज आदि चलाने का गहन प्रशिक्षण लिया । मानसी ने हथियार चलाने का प्रशिक्षण भी ले लिया था । कराटे में ब्लैक बेल्ट धारी मानसी ने बरमुड़ा त्रिकोण तक जाने की पूरी योजना बना डाली थी ।
मानसी हवाई यात्रा पूर्ण करके बरमुडा पहुँच गयी थी । वहाँ से मानसी ने एक स्पीड बोट किराये पर ली और खाने -पीने का सामान भी अपनी बोट पर ले लिया । बरमुड़ा में ही मानसी को एक और भारतीय मिरखा मिला । मिरखा भारत के असम राज्य से था ।
"मैडम ,तुम कितने दिन के लिए समुद्री यात्रा पर जा रहे हो ?",मिरखा ने मानसी की स्पीड बोट पानी में उतारते हुए पूछा । मिरखा उसी कंपनी में काम करता था ;जिससे मानसी ने बोट किराए पर ली थी । मानसी के पास खाने -पीने का इतना ज्यादा सामान देखकर उसने पूछा ।
"पता नहीं । ",मानसी ने कहा ।
"क्यों ?",मिरखा ने पूछा । मिरखा बहुत अच्छे से हिन्दी बोल रहा था ।
"तुम वादा करो कि किसी से इस बारे में कुछ नहीं कहोगे । ",मानसी ने कहा ।
"ऐसा कहाँ जा रहे हो आप ?",मिरखा ने पूछा ।
"बरमुड़ा ट्रायंगल । ",मानसी ने कहा ।
"मैडम ,वहाँ से आज तक कोई लौटकर नहीं आया । वहाँ पता नहीं ब्लैक होल है या क्या है कि जो कुछ भी जाता है ;गायब हो जाता है । ",मिरखा ने कहा ।
"वही तो जानना है । वहाँ पर क्या है ? मैंने जब से उस जगह के बारे में सुना है ;वहाँ जाकर देखने की प्रबल इच्छा है । अपनी इच्छा पूरी करते हुए गायब भी हो जाऊँ तो कोई गम नहीं । सोचो ,अगर वापस लौटकर आ गए तो ?",मानसी ने कहा ।
"आज तक तो कोई नहीं आया । आ भी गए तो क्या ?",मिरखा ने कहा ।
"हम अपने अनुभव से लोगों को लाभ पहुँचा सकते हैं । हम सेलिब्रिटी बन सकते हैं । क्या तुम चलना चाहोगे ?",मानसी ने
पूछा ।
"ठीक है । वैसे भी मैं अकेला हूँ ;मेरे गायब होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता । ",मिरखा ने कुछ सोचते हुए कहा । ज़िन्दगी में हमें कई बार ऐसे लोग मिलते हैं कि उनसे पहली मुलाक़ात ,पहली नहीं लगती । ऐसा महसूस होता है कि हम उन्हें बरसों से जानते हैं । उनकी किसी भी बात को टालने का मन नहीं करता ;ऐसा कुछ ही मिरखा के साथ हो रहा था । मानसी ने भी मिरखा पर इतना भरोसा दिखाया था ।
"तो फिर आ जाओ । ",मानसी ने कहा ।
मानसी और मिरखा ने बोट समंदर में उतार दी थी । कुछ घंटों की यात्रा के बाद दोनों त्रिकोण के आसपास पहुँचने वाले थे । मिरखा असम से बरमुड़ा किसी एजेंट के जरिये ही नौकरी के लिए आया था । असम के नदी द्वीप माजुरी में मिरखा का परिवार रहता था । असम में आयी एक बाढ़ में मिरखा का पूरा परिवार बह गया था । वहीं मानसी एक अनाथालय में पली -बढ़ी थी । मेहनत और समर्पण ने मानसी को आज इस मुकाम पर पहुँचाया था । सही कहा है कि एक कदम भर बढ़ाने की जरूरत है ;फिर तो मंजिलें खुद बा खुद रास्ते ढूँढ लेती हैं ।
"कुछ ही मिनटों में हम बरमुड़ा त्रिकोण के पास होंगे । ",मानसी ने नक़्शे और कंपास की तरफ देखते हुए कहा ।
"क्या तुम्हें डर लग रहा है ?",मिरखा ने पूछा ।
"नहीं ,लेकिन शायद तुम्हें लग रहा है । ",मानसी ने पूछा ।
"नहीं ;काश हम वाकई में इस रहस्य का पता लगा सके । ",मिरखा ने ठंडी आह भरते हुए कहा ।
मानसी ने मिरखा की तरफ मुस्कुराकर देखा और अपनी पलकें सहमति से झुका दी । तब ही बादलों की गर्जन सुनाई देने लगी ।
"मौसम खराब हो रहा है । ",मिरखा ने कहा ।
"नहीं ,शायद हम त्रिकोण में प्रवेश कर चुके हैं । ",मानसी ने कहा ।
तब ही जोर को बिजली चमकी । रोशनी से दोनों की आँखें चुँधिया गयी । कुछ ही सेकन्ड में एक विशाल धारा उन्हें अपनी तरफ आते दिखाई दी ।
"मेरा हाथ छोड़ना मत । ",मानसी ने जोर से मिरखा का हाथ पकड़ते हुए कहा ।
मानसी की बात ख़त्म होने तक वह विशाल लहर सुनामी में बदल गयी थी । समंदर में एक भँवर उत्पन्न हो गया था । मानसी और मिरखा की बोट उस भंवर में समां गयी थी ।
कुछ घंटों बाद मानसी और मिरखा की नींद खुली । उन दोनों ने अपने आपको एक काँच के डब्बे में बंद पाया । वह डब्बा समुद्र के तल पर स्थिर था । उस डब्बे में कुछ नीली गोलियाँ रखी हुई थी । शायद डब्बे में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए ही वह गोलियाँ रखी हुई थी ।
वहाँ पास में ही कुछ बड़े -बड़े डिब्बे रखे हुए थे । तब ही वहाँ पर 2 अज़ीब से प्राणी आये और उनके हाथों में कुछ पत्थर के टुकड़े थे और उन्होंने उन डिब्बों को खोला तथा टुकड़े उसमें रख दिए । कुछ ही मिनटों में फिर एक तेज़ रौशनी चमकी और कुछ ही सेकंड में वह डिब्बा गुम सा हो गया ।
दोनों अजीब सी आकृतियाँ मानसी और मिरखा की तरफ बढ़ी । दोनों आकृतियाँ मानसी और मिरखा के पास आ गयी थी । मानसी और मिरखा अब उन्हें करीब से देख पा रहे थे । उनके सिर पर कुछ गोल सा बना हुआ था ;शायद वह उनकी आँख
थी । उनका आकार एक वर्ग जैसा था ।उनकी बाजुएँ बहुत छोटी थीं ;बाजु के अंत में हाथ जैसा कुछ था । हाथ में केवल एक ही ऊँगली थी । दोनों ने उस डिब्बे को उठा लिया और ले जाने लगे ।
कुछ ही देर में ,वे उस डिब्बे को दूसरे वाले बड़े डिब्बे में ले गए । बड़े डिब्बे में ले जाने के बाद उन्होंने मानसी और मिरखा को छोटे डिब्बे से निकाला । मानसी और मिरखा हैरान से थे और अब थोड़ा डरे हुए भी थे ।
उन्होंने डिब्बे में लगी हुई एक स्क्रीन की तरफ इशारा किया । उस स्क्रीन पर एक के बाद एक भाषा डिसप्ले हो रही थी ;तब ही स्क्रीन पर देवनागरी लिपि डिस्प्ले हुई । मानसी और मिरखा ने इशारा करते हुए कहा ,"हाँ -हाँ ,यही हमारी भाषा है । "
उनमें से एक स्क्रीन की तरफ घूम गया था ;शायद आँखों से कुछ इशारा किया और स्क्रीन पर देवनागरी लिपि में कुछ लिखा हुआ आने लगा ।
"कौन हो और आये हो ?",डिस्प्ले हुआ ।
"मानसी और मीरखा । बरमुड़ा त्रिकोण का रहस्य जानने आये थे । ",मानसी ने कहा ।
"अच्छा , हमारे कुछ साथी दूसरे ग्रह से पृथ्वी पर आये थे ।यहाँ से वो लोग एक पत्थर लेकर गए थे और उससे कुछ दवाई बनाई । दवा के सेवन से हम लोगों की उम्र बहुत बढ़ गयी थी । तब से हम नियमित रूप से वह पत्थर लेने आते हैं । यह पत्थर समंदर की तलहटी में ही मिलता है और इसे बनने में कुछ वर्षों का समय लगता है ।पृथ्वी के निवासी यहाँ तक नहीं आ पाए ;इसलिए हमने यहाँ एक ब्लैक होल बना रखा है । तुम दोनों पहली बार यहाँ तक जीवित आ गए । जब हमने तुम्हारी बोट को देखा था ; तुम दोनों की साँसें चल रही थी । ",स्क्रीन पर डिस्प्ले हो रहा था ।
"अब क्या आप हमें मार दोगे ?",मिरखा ने पूछा ।
"नहीं ,लेकिन तुम दोनों ने आज जो भी देखा ;वह सब भूल जाओगे । ",डिस्प्ले हुआ ।
दोनों आकृतियाँ उन्हें फिर एक डिब्बे में ले गयी । दोनों आकृतियों ने उनके सिर पर अपने हाथ रखे ।
कुछ दिनों बाद दो भारतीय न्यूजीलैंड के समंदर तट पर बेहोश हालत में मिलेमानसी और मिरखा भूल गए थे कि बरमुड़ा त्रिकोण में वे दोनों किन्हीं एलियन से मिले थे ।