Aaradhya Ark

Children Stories Classics Inspirational

4  

Aaradhya Ark

Children Stories Classics Inspirational

ब्रह्मवाक्य... नो चीटिंग

ब्रह्मवाक्य... नो चीटिंग

3 mins
200


शिक्षकों का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। वैसे हर बच्चे की पहली शिक्षक तो उसकी माँ होती है उसके बाद आती है बारी शिक्षकों की।

मेरी ज़िन्दगी में भी मेरी प्रथम शिक्षिका मेरी 'माँ' हैँ। वैसे तो उनकी दी हुई शिक्षा का कोई अंत नहीं है, आज भी उनसे बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है। पर कुछ वाकयात ऐसे हैँ जो मुझे हमेशा याद रहते हैँ और उनसे जुड़ी सीख भी।

मुझे आज भी अच्छी तरह याद है। मैं फोर्थ स्टैंडर्ड में थी और मैथ्स का एग्जाम था। मैथ्स मुझे हमेशा से कठिन लगता था। उस दिन मेरी सहेली कोमल मैथ्स में चीटिंग करती हुई पकड़ी गई थी और मैं घर आकर माँ को चहककर बता रही थी कि किस तरह उसे डांट पड़ी और चीटिंग करने की वजह से सबके सामने शर्मिंदा होना पड़ा। मैं यह सब माँ को को खुश होकर इसलिए बता रही थी क्योंकि पढ़ाई और कल्चरल एक्टिविटी में कोमल हमेशा मुझसे आगे रहती थी और माँ उसकी अक्सर तारीफ़ करती रहती थीं। कभी कभी उनकी प्रशंसा तुलनात्मक भी हो जाती थी जिससे मेरे बालमन को बहुत ठेस पहुँचती थी। कभी कभी mai कोमल के प्रति मन में ईर्ष्या के भाव को भी महसूस करती थी। उस दिन जब मैंने स्कूल से घर आकर माँ को बताया कि,

"माँ, पता है आज आपकी वो फेवरेट कोमल चीटिंग करती हुई पकड़ी गई। आज तो सबके सामने उसकी बहुत इंसल्ट हुई, मुझे तो बड़ा मज़ा आया, बड़ा ना खुद को इंटेलिजेंट समझती थी !"

कहकर मैं यूनिफार्म चेंज करने अपने कमरे में जा ही रही थी कि माँ ने मुझे रोक लिया और बेहद गंभीर शब्दों में जो समझाया वह मैं आज तक नहीं भूल पाई हूँ। एक तरह से उनके कहे शब्द मेरे लिए

ब्रह्मवाक्य बन गए।

माँ ने कहा,

सबसे पहले तो तुम्हें कोमल पर हँसना नहीं चाहिए। किसीकी गलती पर हँसना नहीं चाहिए और उनकी गलती से कुछ सीखना ज़रूर चाहिए ताकि तुम वही गलती अपनी ज़िन्दगी में ना दोहराओ !"

सुनकर मैं थोड़ी उदास और रोने रोने को हो आई कि अब भी माँ कोमल की साइड ले रही है। पर अगला वाक्य जो माँ ने कहा उससे मैं एकदम अभिभूत हो गई।

माँ ने मेरी डबडबाई आँखों को देखकर मुस्कुराकर कहा,

"बेटा ! मुझे पता है मैंने तुम्हें अच्छे संस्कार दिए हैँ। और मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कि मेरी गुड्डो कभी गलत काम नहीं करेगी। और एक बात याद रखना चीटिंग से कभी ज्ञान नहीं आता !"

*फेल हो जाना पर कभी चीटिंग नहीं करना *

यही तो...यही तो माँ का कहा वो ब्रह्मवाक्य है जो मुझे हमेशा याद रहता है और मैं कभी गलत काम नहीं कर पाती।

मेरी माँ ! मेरी प्रथम शिक्षक ही नहीं मेरी ज़िन्दगी की पढ़ाई की भी हमेशा मार्गदर्शक रही हैँ। कल भी, आज भी, और कल भी।


Rate this content
Log in