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Anju Kharbanda

Others

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Anju Kharbanda

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बरगद की छाँव

बरगद की छाँव

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"उफ्फ आज फिर देर हो गई उठते उठते।"

"आज ऑफिस में पहुंचते ही बॉस से झिकझिक होगी।" खुद से बातें करते हुए रागिनी थोड़े ऊँचे स्वर में बोली-

"झिलमिल ओ झिलमिल! जल्दी उठ बेटा नहीं तो स्कूल बस निकल जाएगी।"

"मम्मा! सोने दो न थोड़ी देर और!"

"बेटा छह बज चुके है और 6.40 पर तुम्हारी बस आ जाएग । आज तुम्हारा टेस्ट भी तो है। जल्दी उठो, टाईम वेस्ट मत करो।"

झिलमिल को उठा रागिनी जल्दी से बाथरुम गई और हड़बड़ी में नहाकर गाऊन पहन रसोई मे आ गई।


"अरे! आज तो झिलमिल ने ब्रेड रोल लेकर जाने है। रात को आलू उबालना ही भूल गई। अभी उबाले तो बहुत समय लगेगा। अभी सब्जी भी बनानी है और तैयार होकर ऑफ़िस के लिये भी निकलना है! कुछ दिमाग काम नहीं कर रहा! क्या करुँ ! क्या बनाऊं !"

रागिनी !"

"राम राम मांजी ! बस अभी चाय रख रही हूँ।"

सासु जी की आवाज़ से उसकी तंद्रा टूटी।

"कोई नहीं बेटा, तुम पहले झिलमिल के लिये टिफ़िन बना लो। कल रात भी तुम उसे पढ़ाते पढ़ाते देर से सोई।"


"मांजी इस चक्कर में रात को आलू उबालना भी भूल गई। अब झिलमिल को टिफ़िन में क्या दूँ कुछ समझ नहीं आ रहा!"

"अरे चिंता मत करो।"

मांजी ने मुस्करा कर कहा।

"आज सुबह चार बजे ही नींद खुल गई। रसोई में पानी पीने आई तो याद आया कि झिलमिल तुमसे ज़िद कर रही थी ब्रेड रोल लेकर जाने की तो मैंने आलू उबाल दिये। अब जल्दी से कड़ाही रखो तब तक मैं आलू छीलकर मैश कर देती हूँ।"


"मांजी!"

रागिनी की आवाज़ भर्रा गयी ।

"आप बहुत बहुत अच्छी है बिलकुल बरगद की शीतल छाँव की तरह!"



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