बंगाल की सर्दी
बंगाल की सर्दी
सर्दी की ऋतु का इंतजार मुझे वसंत से भी कहीं ज्यादा रहता है। भारतीय होने के नाते सर्दी की महत्ता और गर्मी की सिरदर्द को अलग से बताने की तो कोई आवश्यकता नहीं है।
चलिए आज पश्चिम बंगाल की सर्दियों का मौसम और इस मौसम में बदलते हुए प्रकृति, पर्यावरण और परिवेश सभी को जानते हैं।
पश्चिम बंगाल में सर्दी यूं तो काली पूजा के साथ ही आ जाती हैं, मगर पंखे की जरूरत बीच-बीच में पड़ती ही रहती हैं। सर्दी मतलब दक्षिणायन और दिन का छोटा तथा रात का लंबा हो जाना। सर्दी की ऐसी सुबह होती ,जब शायद ही किसी को भी बिस्तर और रजाई छोड़ने की इच्छा होती होगी। सर्दी की ऋतु स्पेशल होती हैं, हमलोग सबसे पहले सारे गर्म कपड़े और रजाई निकाल कर छत पर धूप में सुखाते हैं, तभी उसका इस्तेमाल करते हैं। सर्दी में तो फ्रिज को टाटा बाय - बाय कर दिया जाता है। सर्दी में हर सुबह का काम रहता है, नारियल तेल की शीशी और पानी की बोतल को धूप में रखना। सर्दी में हरी सब्जियों की तादाद और वराइटी दोनों बढ़ जाती हैं। जिन सब्जियों को पूरे-पूरे साल खाकर आपका मन भर जाता है, उनसे आपको मुक्ति मिलती हैं। सब्जियों की वराइटी में पूई साग को नहीं भूलना चाहिए, हर दोपहर पूई साग की तरकारी बिल्कुल आपके घर पर आई हुई और चिपकी हुई मेहमान की तरह ही लगती हैं, जो कभी नहीं जाना चाहती। खैर, सर्दी की ऋतु को और भी स्पेशल बनाती हैं, इस समय होने वाली शादी और बहुभात का निमंत्रण। शादियों की स्पेशलिटी सिर्फ भोजन नहीं बल्कि, मेल मिलाप और सामाजिकीकरण से भी है। शीत कालीन शादी, नलेन गुड़ के रसगुल्ला के बिना हो ही नहीं सकती। शादी में वर वधु न हो, कोई बात नहीं नलेन गुड़ का रसगुल्ला होना ही चाहिए, वरना वो शादी शायद ही किसी को अच्छा लगे।
शीत काल में पिकनिक मनाने का अलग ही मजा है, चाहे वो दोस्तों के साथ हो या अपने परिवार के साथ, आपके पास चिड़िया घर से लेकर अयोध्या पहाड़ी तक के सुनहरे स्थान है और सर्दियों के लिए और भी मनोरम। सर्दी बिना अलाव के भी अधूरी लगती हैं, और अलाव लिट्टी और आलू बैंगन के बिना अधूरा है। अलाव और लिट्टी का आनंद साथ साथ होना ही चाहिए। सर्दी में आप जितनी बार चाय के लिए पूछेंगे , लोग मना नहीं करेंगे , बल्कि वो आपको दिल खोलकर आशीर्वाद देंगे। सर्दी त्योहारों का भी मौसम है, इस समय इतू पूजा, क्रिसमस-डे, ईयर एंडिंग, न्यू ईयर सब कुछ मनाने का मौका मिल जाता है।
सर्दी रंगों का मौसम है, कभी आपकी थाली बीट की लाल सब्जी से लाल, कभी गाजर के हलवे से नारंगी होती रहती हैं।
कुल मिलाकर सर्दियां खाने, पहनने, सोने और घूमने के सर्वथा योग्य हैं।
