ब्लेक एंड व्हाइट -लघुकथा
ब्लेक एंड व्हाइट -लघुकथा
"लो देखो ब्लेक एंड व्हाइट पिक्चर आ गई।" यह वाक्य शांति जब भी अपने पति के साथ होती बार-बार सुनती। लेकिन शांति थी कि उसके कान पर जूं तक न रेंगती।
एक दिन सुधा ने जो कि शांति की सहेली थी से रहा नहीं गया और कह उठी, शांति तुम ईंट का जवाब पत्थर से/ मुंह तोड़ जवाब भी तो दे सकती हो। कह क्यों नहीं देती कि मेरे पति का सिर्फ रंग काला है तुम्हारी तरह मन नहीं। नहीं तो ऐसी बात नहीं करती। इस पर शांति ने बहुत ही शांत भाव से कहा सच्चाई यही है और इसे स्वीकारने में शर्म कैसी। और तो और मुझे बुरा नहीं बल्कि अच्छा लगता है क्योंकि मेरे पास काला रंग है फिर नजर तो हमारे परिवार को कभी लग ही नहीं सकती।
जब-जब ब्लैक एंड वाइट शब्द मेरे कानों पर पड़ता है तो वह मुझे अधिक से अधिक सुरक्षित होने का एहसास कराता है। ऐसे लगता है मानो मेरे चारों ओर सुरक्षा के घेरे बन रहे हैं।
