बिस्कुट
बिस्कुट
घर के लिए कुछ सामान खरीदना था। शनिवार की छुट्टी थी तो मैं निकल पड़ी केंद्रीय भंडार के लिए। नीचे उतर कर देखा की कुछ लेबर सीमेंट वाला काम कर रहे थे। और वहाँ की रेत में दो छोटे बच्चें खेल रहे थे।
कैंपस में कुछ न कुछ रिपेयर का काम चलता ही रहता है। हम कैंपस वालों के लिए बेहद आम सा दृश्य है।उन बच्चों को देखकर मुझे लगा कि लेबर औरतों के साथ उनके बच्चों की क्रेच और इतर राइट्स यह सब किताबी बातें है।इसी सोच के साथ केंद्रीय भंडार भी आ गया और मैं अपना सामान लेने लगी। रोजमर्रा सामानों के साथ घर के लिए मैग्गी और तरह तरह के बिस्कुट लिए।
कार्ड निकल कर पेमेंट कर मैं घर आने लगी। अचानक उन रेत में खेलते हुए बच्चों का खयाल आया। और मैं वापस मूडी। दुकानदार ने मुझे पूछा, "कोई प्रॉब्लम है कैलकुलेशन में क्या?"
मैंने ना में सिर हिलाया।अंदर आकर फिर से मैं बिस्कुट लेने लगी। दुकानदार कहने लगा, "मैंने सब बिस्कुट डाल दिये है। आप चेक कर लीजिए।" मुझे और लेने है कहते हुए मैं झट झट वहाँ शेल्फ में रखे हुए बिस्कूट में से हर एक छोटे बड़े पैकेट लेने लगी। दुकानदार की अचरज भरी निगाहें उन सारे पैकेट्स से फिरते हुए मैंने नोटिस किया।बिस्कूट के साथ अंकल चिप्स का पैकेट के पेमेंट कर वापस आने लगी।
वे दोनों बच्चें उसी तरह रेत मे बिना चपलों के खेल रहे थे। मैंने वह बिस्कुट वाला थैला उस लेबर औरत के हाथ में देते हुए कहा, "ये इन बच्चों के लिए है।" हाथ की रेत को झटकते हुए वह दोनो बच्चें झट से मेरे पास आये और उनमें से एक लड़के ने झट से माँ के पहले ही मेरे हाथ से थैला ले लिया।ढेर सारे बिस्कूट देख वह हँसने लगा।वह हँसी बेहद निश्चल थी।
मैं भी हँसते हुए आगे बढ़ी। जब मुड़कर देखा तो वे दोनों बच्चें जिस रेत में थोड़ी देर पहले बड़ी मस्ती में खेल रहे थे अब उस रेत को ही भूल गये....
बच्चें तो होते ही ऐसे, नही?