Sheikh Shahzad Usmani

Children Stories Comedy Fantasy

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Sheikh Shahzad Usmani

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बीरबल-सप्ताह : ब्रेकिंग न्यूज़ (कहानी)

बीरबल-सप्ताह : ब्रेकिंग न्यूज़ (कहानी)

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देश की राजधानी में ऐसे बहुत से ऐतिहासिक मुग़लकालीन स्मारक, भवन, पर्यटक स्थल व क्षेत्र हैं जिनके नाम आज भी मुगलकालीन ही हैं। बरसों से यहाँ एक गंगाजमुनी परम्परा भी चली आ रही है। एक साहित्यिक और सांस्कृतिक एनजीओ द्वारा यहाँ मुग़लकालीन माफ़िक़ एक दरबार लगाया जाता है जिसमें मुगल सम्राट अकबर, उनके वफ़ादार वज़ीर बीरबल और उनके दरबार के सभी प्रमुख ओहदेदारों की भूमिका निभाई जाती है रंगमंच के मँजे हुए कलाकारों द्वारा। पूरा दृश्य मुग़लकालीन सम्राट अकबर के दरबार जैसा होता है। जनता की समस्याएं सुलझाने के अलावा यहाँ हास्य विनोद की झलकियाँ और नाटिकाएं भी प्रस्तुत की जाती हैं। न्यूनतम टिकट पर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कराया जाता है।

'बीरबल सप्ताह' के अंतर्गत आज पाँचवें दिवस पर एक अंग्रेज़ मंत्री श्री ऐंथोनी के मुख्य आतिथ्य में 'अकबर-बीरबल क़िस्सों' का एक विशेष परिसंवाद कार्यक्रम रखा गया था। बाक़ायदा सज़े दरबार में राजगद्दी पर एक बादशाह अकबर बैठे हुए थे, उनके सभापति, सेनापति, मंत्री, सेवक आदि सब हक़ीक़त की तरह यथास्थान पर मौजूद थे। जब मिस्टर ऐंथोनी के भाषण की बारी आयी तो उन्होंने हिंदी में भाषण देने की कोशिश की। टूटी-फूटी हिंदी में सम्राट अकबर और बीरबल की प्रशंसा में बोलने लगे : 

जब बी बुड्डीमट्ठा, चटुराई और हाजिड़-जवाबी की बाट होटी हये, टो सबसे फैला नाम बीरबल का आटा है। इन दि सेइम वेइ, अकबर-बीरबल की जुगलबंडी किसी से चुपी नई हये। इट इज़ ओल्सो टऊल्ड, बीरबल को बाडशा अकबर के नऊरठ्नों में से एक अनमोल रठन माना जाटा था। अकबर-बीरबल से जुडी ऐसी खई खानियां हैं, जो हर किसी को गुडगुदडाटी हँये। दे ठीच अस मेनी लेसन्ज़ ठू! .... इन दिस सेन्चुअरि एनजीओ ड्वारा बेटरीन प्रोग्रेइम देकखर डिल ख़ुश हुआ। ऐंथोनी.. ख़ुश हुआ। ऐंथोनी बहूट ख़ुश हुआ। ऐंथोनी सम्राट अकबर और बीरबल का रोल करने वाले कलाखारों को "श्रड्डांजलि" पेश करता है! ...

जैसे ही अंग्रेज़ मंत्री के मुंह से अभिनंदन या स्वागत शब्द की जगह "श्रड्डांजलि" शब्द निकला, दरबार में सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। तालियाँ-सीटियाँ बजा-बजा कर ऐंथोनी जी को हूट करने लगे।

राजगद्दी पर बैठे अकबर ने बीरबल की ओर आश्चर्य मिश्रित क्रोध से देखा और बीरबल का भेजा घूम गया। उसे लगा कि सम्राट अकबर इस समस्या का समाधान तुरंत चाहते हैं। बीरबल ने तुरंत दो दासियों को इशारा करके गुलदस्ते और हार सहित मंच पर पहुँचने को कहा और स्वयं फुर्ती से मंच पर पहुंच कर ऐंथोनी जी से माइक विनम्रतापूर्वक लेते हुए बोले, "मिस्टर ऐंथोनी का "श्रड्डांजलि पेश करने का मतलब है 'श्रद्धा' और 'अंजलि' कलाकारों द्वारा सम्राट अकबर के सम्मान में नृत्य पेश करवाना... तो लीजिए पेश है यह शानदार शास्त्रीय नृत्य! तुरंत ही भौचक्का अंग्रेज़ मंत्री अपनी भव्य कुर्सी पर बैठ गया और मंच पर पहुँची दोनों दासियाँ बीरबल के इशारे पर गुलदस्ते और हार हाथों में लेकर शास्त्रीय नृत्य करने लगीं।

दर्शक शांत होकर नृत्य देखने लगे। उन्हें अपनी ग़लतियों का अहसास हो गया था। उन्हें ऐंथोनी जी को हूट नहीं करना चाहिए था। हक़ीक़त के अकबर-बीरबल की तरह आज अकबर और बीरबल बने कलाकारों ने अपना व महान अकबर-बीरबल का मान रख लिया था "श्रड्डांजलि (श्रृद्धांजलि)" शब्द की ग़लती को दूसरी ओर मोड़कर।

दरबार सम्पन्न होने के बाद एनजीओ और दर्शक सभी बीरबल बने कलाकार की बीरबल जैसी तात्कालिक सूझबूझ और चतुराई की भरपूर तारीफ़ें कर रहे थे। बाद में एनजीओ ने उन दोनों कलाकारों को अपनी भूमिका में डूबकर उचित निर्णय हेतु विशेष पुरस्कार भी दिये। समाचार पत्रों और मीडिया में यह समाचार ब्रेकिंग न्यूज़ बन गया।



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