भ्रम
भ्रम
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वो मेरे साथ पढ़ती थी सहेलियाँ कटी कटी रहती, कटाक्ष देती "गन्दी है वो।" पूछा बोली "मैं देह व्यापार हूँ करती।" मैं साथ थी उसके खड़ी और बोली "सखियों से पाप से धृणा करो पापी से नहीं। मजबूरन आई होगी पेट की भूख, गरीबी। रोज मरती और पढ़ती, न थी बेचारी।"
