भारत भ्रमण
भारत भ्रमण
"बच्चों,नमस्ते,आज हम अचरजों की चित्रावली चित्रकूट की बात करेंगे।"
" चित्रकूट! धार्मिक नगरी की! जो भगवान राम से संबंधित है?" अंजनी ने पूछा।
"यह धार्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व की नगरी है। भारत धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध देश है।संस्कृति और विरासत की सुंदर झलकियां और एक अलग प्रकार की ऊर्जा का अनुभव करना है तो ऐसी जगह है चित्रकूट।"
"तुलसीदास जी ने चित्रकूट का वर्णन किया है, वह क्या है चाचाजी ?"
"हिंदी के संत कवि तुलसीदास जी ने अपनी सभी प्रमुख रचनाओं रामचरित मानस,कवितावली, दोहावली और विनय पत्रिका में इस स्थान का अत्यंत आदर पूर्वक उल्लेख किया है।इनके अतिरिक्त वाल्मीकि रामायण में, रामोपाख्यान और महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य रघुवंश में इस स्थान का सुंदर वर्णन किया है। कालिदास तो इस स्थान के आकर्षण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मेघदूत में अपने प्रिय के निर्वासन का स्थान चित्रकूट को बनाया।"
"चाचा जी, चित्रकूट कहां स्थित है?"स्मिता ने पूछा।
"यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य में फैली उत्तरी विंध्य पर्वत श्रंखला में स्थित है। यहां का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और मध्यप्रदेश के सतना जनपद में शामिल है।"
"चित्रकूट की अन्य विशेषताएं क्या है, चाचा जी?"प्रियांक ने पूछा।
"यह स्थान विविध सांस्कृतिक, धार्मिक ,ऐतिहासिक, पुरातात्विक विरासत का प्रतीक है।
रामघाट इस तीर्थ क्षेत्र का प्रमुख केंद्र है। मंदाकिनी तट पर काशी की तर्ज पर मंदाकिनी आरती और लेजर शो भी होते हैं। एक्सप्रेसवे और डिफेंस कॉरिडोर चकाचौंध करते हैं।"
"यहां कौन- कौन से दर्शनीय स्थल हैं',चाचाजी?"
"चित्रकूट के कर्वी जिला मुख्यालय अंतर्गत तरौंहा में एक समय सुर्की सम्राट राजा राम कृष्ण जू देव के दरबार में बीरबल और तानसेन तक आते थे। कुछ दूर झारखंडी माता का मंदिर है, जहां नवरात्र में बड़ा मेला लगता है। चित्रकूट जिले के मानिकपुर कस्बे से मारकुंडी सतना मार्ग पर 2 किलोमीटर दूर स्थित सरहद गांव के पहाड़ों पर हजारों साल पुराने शैली चित्र हैं। गुप्त गोदावरी चित्रकूट से 18 किलोमीटर दूर स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम और लक्ष्मण वनवास के दौरान कुछ समय यहां रहे।प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता।गुफा के अंत ने एक छोटा तालाब है,जिसे गोदावरी कहा जाता है।गुप्त गोदावरी दो गुफाएं हैं,जो पहाड़ के अंदर हैं।यहां जलस्तर घुटनों तक है।बड़ी गुफा मे डॉ पत्थरों पर
नक्काशीदार सिंहासन है,जिन्हें राम और लक्ष्मण से संबंधित माना जाता है।"
"क्या यह वैसी ही गुफा है, जैसी वैष्णो देवी मंदिर के पास है। वह भी संकरी गुफा है और उसमें प्रवेश करना पुण्य का कार्य माना जाता है।कहते हैं ,जो पापी होते हैं ,वह फंस जाते हैं और उन्हें लौटना पड़ता है।"सुधीर ने बताया।
"यह तो वहां जाकर ही देखना होगा।"हंसते हुए चाचा जी ने कहा।
"हां,यह भी सही है।अब तो प्रतीत होता है भारत भ्रमण का ही कार्यक्रम बनाना पड़ सकता है।"अपनी हंसी रोकते हुए मधुकर ने कहा।
"चलिए ,तो कल फिर कहीं और चलेंगे।आज के लिए शुभ रात्रि।"
"धन्यवाद और शुभरात्रि, चाचाजी।"