बगीचे के फूल
बगीचे के फूल
शिक्षक छठीं क्लास के बच्चों को सामाजिक विज्ञान पढ़ा रहे थे- "बच्चों, हमारा देश एक ऐसा देश है, जहाँ अनेकता में भी एक स्थापित है। यहाँ अनेक धर्मों को मानने वाले अनेक जातियों के लोग रहते हैं। सबका अपना खान-पान, अपनी भाषा-संस्कृति और अपना रहन-सहन है, इसके बावजूद सभी देश के भीतर मिल-जुलकर रहते हैं। धार्मिक रूप से स्वतंत्रता होने के बावजूद भी देश में धार्मिक एकता स्थापित है।"
"सर हिंदू मंदिर में पूजापाठ करते हैं, मुस्लिम मस्जिद में, सिख गुरूद्वारे में और ईसाई चर्च में और सबकी वेशभूषा और जीवन शैली भी अलग-अलग है, लेकिन फिर भी सब एक कैसे हुए ?"- एक छात्र ने प्रश्न किया।
"अभी तुम्हें इस सवाल का जवाब देता हूँ, आप लोग सभी बगीचे के पास चलिए।"- शिक्षक ने कहा।
सभी विद्यार्थी स्कूल के बगीचे के पास एकत्रित हो गये। उनकी समझ में नहीं आ पा रहा था कि आखिर सर ने उन्हें यहां पर क्यों एकत्रित किया ?
शिक्षक- " देखिए बच्चों, इस एक ही बगीचे में तरह-तरह के फूल खिले हुए हैं। यह रहा गुलाब, इसे आप हिंदू मान लीजिए, यह रहा गेंदा, इसे मुस्लिम मान लीजिए। यह रहा सूरजमुखी, इसे आप सिख मान लीजिए, यह रही चंपा, इसे आप ईसाई मान लीजिए, इसी तरह से अन्य फूल भी हैं। सब रंग और आकार-प्रकार में भिन्न-भिन्न हैं, लेकिन सभी एक ही बगीचे की शोभा बढ़ा रहे हैं और यह बगीचा कोई और नहीं बल्कि हमारा देश है।"
"यानि कहने का मतलब है कि जिस प्रकार से रंग-रूप में भिन्नता होने के बावजूद भी सभी फूल एक ही बगीचे की सुंदरता बढ़ाते हैं, उसी प्रकार से सभी धर्म स्वभाव से भिन्न होते हुए भी हमारे देश का गौरव बढ़ाते हैं। एक-दूसरे भी प्रति सम्मान का भाव रखते हैं।"-एक विद्यार्थी ने कहा।
"शाबाश, बिल्कुल सही। अनिकेत ने एकदम सही बात कही। आशा है आप लोग भी समझ गये होंगे कि हमारे देश में किस प्रकार से धार्मिक एकता है ?"
"जी सर।"- सभी विद्यार्थियों ने एक स्वर में कहा।
विद्यार्थी अब समझ चुके थे कि हमारे देश में किस प्रकार से धार्मिक एकता है ? क्यों हमारे देश को अनेकता में एकता स्थापित करने वाला देश कहा जाता है ?