Lokanath Rath

Others

2  

Lokanath Rath

Others

बचन (भाग -सात ).....

बचन (भाग -सात ).....

5 mins
167


बचन (भाग -सात ).......

---------------------------------------------

आशीष अपने घर जारहा था और मन मे अशोक से बिछड़ने का दुःख भी हों रहा था । अशोक दूर से आशीष को जाते हुए देख रहा था । फिर जब आशीष ने बहुत दूर चला गया तो अशोक उसके कमरे मे आया और आशा को फोन किया । उसने आशा को बताया, " मैं कल मुम्बई जा रहा हूँ ।तुम मेरी माँ और परिवार की थोड़ा ध्यान रखना । पता नहीं कब फिर मे अपनी माँ को जी भर के देखूंगा? आशा मुझे अब अपनों से दूर रहना बहुत सताता है । तुम्हे मैं अपना समझता हूँ, इसीलिए मेरी दिल की बाते बोल रहा हूँ। "

आशा फोन पर अशोक के बात सुनकर समझ रही थी की अशोक कितना उदाश है । उसको भी अशोक से दूर रहना बहुत दुःख देता है । उसने फोन पर अशोक को बहुत समझाई और बोली, "सब ठीक हो जायेगा । ये सब समय का खेल है ।तुम उदास नहीं होना ।"फिर दोनों फोन रख दिए ।अगले दिन अशोक सुभाषा मुम्बई के लिए निकल गया । आशीष अपनी दुकान का काम मे ब्यस्त रहा ।सुचित्रा अपनी बेटा अशोक को याद करके हर रोज उदास रहेने लगी ।कभी कभी वो अपनी पति के तस्वीर के सामने रोती रहती भी है । आशा अपनी डाक्टरी परीक्षा मे ब्यस्त रही ।उसकी अब शेष बर्ष है और इसके बाद वो डाक्टर बन जाएगी । बिकाश जी रोज के तरहा सुचित्रा देबी और आशीष के सहायता करते रहे । उधर सुधार गृह मे सरोज का इलाज हों रहा था । महेश बाबू और अमिता को बेटी आरती ने संभाली है । सब अपने अपने काम मे ब्यस्त है ।


देखते देखते एक महीना बीत गया । सुधार केंद्र मे सरोज से मिलने महेश बाबू और अमिता गए । वहाँ पहेले उनका मुलाक़ात रमनलाल जी से हुआ ।उन्होंने बताया की सरोज को नशे का लत लग चूका है और उसको सुधारने के लिए थोड़ा समय लगेगा । अब सरोज को कोई भी अच्छा काम पसन्द नहीं है, वो पूरी तरह बिगड़ चूका है । उन्होंने ने महेश और अमिता को बोले की अब उससे ज्यादा समय बात नहीं करके सिर्फ मिलके चले जाने के लिए । महेश और अमिता वही किए ।पर जब वो लोग सरोज से मिलके जा रहे थे तो सरोज उनको पीछे से गालियां देरहा था । वो उनको धमकी भी दे रहा था । सरोज के ऐसी हरकते देखकर महेश और अमिता बहुत दुःखी होरहे थे । वो दोनों चुप चाप वहाँ से निकल गए । उन्होंने आनेका वक़्त आरती को सुचित्रा देबी के पास छोड़ आये थे । दोनों अपने घर पहुँचकर बहुत रोने लगे सरोज के बारे मे सोच कर ।


ऐसे कुछ दिन बीत गए । एक दिन सुबह सुचित्रा ने आरती को उलटी करते हुए देखी और उसको चक्कर भी आरहा था । तब तुरन्त वो आशीष को बोलकर आरती को हस्पताल ले गई ।वहाँ पहुँचते ही आशा उनसे मिली ।कियूँ की आशीष ने आशा को फोन करके बोल दिए थे ।आशा सारे जाँच की और बहुत ख़ुश होकर बोली, " आंटी आप जल्द दादी बनने वाली हों ।" सुचित्रा बहुत ख़ुश हों गई । उन्होंने फोन करके आरती की माँ अमिता को बोली और बधाई दि ।फिर वो आशीष को बोली घर पे उनका इन्तेजार करने । घर पहुँचकर सुचित्रा ने आशीष को बोली, " देख अभी मे दादी बनने वाली हुँ । तू अब मेरी बहु को अगर थोड़ी सी भी दर्द दिए या कुछ कहा तो मेरी से बुरा और कोई नहीं होगा ।और आज से मे थोड़ा कम समय के लिए दुकान आउंगी कियूँ की मुझे आरती की देखभाल करनी है ।अगर कुछ जरुरी काम होगा तो तुम या बिकाश जी आकर मुझसे घर पे मिल लेना । अब तू चल, हम पहेले मन्दिर जाएंगे, उसके बाद तू दुकान चले जाना ।हाँ दुकान जाते वक़्त कुछ मिठाइयाँ ले जाना सबके लिए ।" तब आशीष और आरती आकर सुचित्रा देबी के गले लग गए । फिर वो लोग मन्दिर गये । मन्दिर मे पूजा करके सुचित्रा आरती को लेकर घर आगयी और आशीष दुकान निकल गया ।


आशा ने फोन करके अशोक को आरती के माँ बनने वाली बात बताई ।अशोक बहुत ख़ुश हों गया और बोला, "अरे अब मे चाचा बन जाऊंगा । बहुत धन्यवाद आशा ये ख़ुश खबर देनेके लिए ।बोल तुझे क्या चाहिए?"तब आशा थोड़ी बदमाशी करके बोली," तुम पास मे होने से तुमसे ले लेती । तुम इतने दूर हों, कैसे दोगे? "अशोक समझ लिआ आशा क्या बोलना चाहती है । फिर उसने बोला,"ठीक है अब जब मे आऊँगा पुरे सुध समेत दे दूँगा ।अच्छा तुम्हे तुम्हारी दिए हुए बचन याद है ना? अब मेरी भाभी की थोड़ा ख्याल रखना ।"आशा ने बोली,"मुझे मेरा वचन और मेरा फ़र्ज दोनों याद है ।तुम बिलकुल फिकर नहीं करना ।अपने काम पे ध्यान देना ।अब तुम्हारा जो पहेली गाना सिनेमा मे आनेवाला है, उसमे ध्यान देना ।अब रखती हूँ, मुझे कुछ मरीजों को देखना है ।" फिर आशा अपनी काम मे लग गयी । अशोक वहाँ मन्दिर जाकर पूजा किया और अशोक को फोन करके बोला, "भाई बधाई हों, मैं अब चाचा बनने वाला हूँ ।" अशोक बहुत ख़ुश हुआ और बोला, "तेरी भाभी बोल रही थी की अगर तुम यहाँ होते तो सारे खुशी दुगुनी हों जाता । वो भी तुम्हारे लिए उदास रहती है ।तुम अपने काम मे ध्यान देना और तेरा पहेला गाना सिनेमा के लिए होजाने के बाद मुझे बताना । तेरी कामियाबी अब इस खुशी को और बढ़ा देगा । अभी फोन रख, मन लगाकर अपनी गाने पे ध्यान देना ।"


अब अशोक बहुत ख़ुश होकर अपनी घर आया और तैयार होकर निकला उसके पहेला सिनेमा का गाना रिकॉर्डिंग करने के लिए ।आज उसको अभ्यास करके रिकॉर्डिंग करना है ।वो और भी ख़ुश था कि सब अपने अपने वचन निभाते जा रहे हैं।वो सिर्फ उपरवाले को बोल रहा था की सबको शक्ति देने के लिए ।



Rate this content
Log in