बच्चों की इच्छा
बच्चों की इच्छा
6,7 बच्चों का ग्रुप सब अपने-अपने स्कूटर लेकर के उसके सहारे खड़े होकर बैठ कर ग्रुप बनाकर बातें कर रहे हैं।
बातों का हॉट टॉपिक है हमारे मम्मी पापा खुश नहीं होते।
सब अपनी अपनी कथनी बोल रहे हैं।
रोहित ःःहाय बडीज क्या बताऊं,
मैं तो बहुत परेशान हो गया।
सब फ्रेंड्स एक साथ बोलते हैं अरे क्या रे क्यों परेशान हो रहा है।
रोहित बोलता है मेरे मम्मी पापा कभी खुशी नहीं होते ,मेरे अभी 94.5% मार्क्स आए हैं तो वह भी खुश नहीं है।
बोलते थोड़ी और मेहनत करो ।
इतनी मेहनत करके इतने नंबर लेकर आता हूं तो भी वह मेरा हौसला नहीं बढ़ाते।
और बोलते हैं इतने से कुछ नहीं होगा कंपटीशन का जमाना है।
मैं क्या बताऊं मेरे दोस्तों मुझे तो मेडिकल में जाना ही नहीं है,
मगर मेरे मम्मी पापा जिन्होंने अपने सपने खुद तो करे नहीं पूरे, और सब कुछ मुझसे ही करवाना चाहते हैं।
वह नहीं बने डॉक्टर , चाहते कि मैं डॉक्टर बनु। जबकि मेरी इसमें कोई रुचि नहीं है। कुछ भी कह लो कुछ भी करो पूरे दिन बस टकटक, टकटक ,पढ़ाई करो पढ़ाई करो। तुमको डॉक्टर बनना है ,तुमको अच्छा कंपटीशन जीतना है।
यह करना है ,वह करना है।
अरे कभी यह तो समझो कि हम भी बच्चे हैं। हमको भी कुछ मन होता होगा करने का।
10 मिनट गाने सुनो तो भी चिल्लाते रहते हैं। मैं तो तंग आ गया हूं ,ऐसा लगता है यह पढ़ाई छोड़ दूं और शांति से बैठ जाऊं।
आज तो मैंने मेरी दादी को फोन कर दिया है वही आकर इनको समझा सकेंगे।
बाकी तो किसी की सुनते नहीं है।
मैं तो बहुत ही परेशान हूं तुम ही बताओ दोस्तों क्या करूं किससे अबकी अपने मन बात करूं।
फिर मैंने आज तो दादी को फोन लगा दिया और सारी बातें बता दी।
इस पर दूसरा बच्चा बोलता है ,हां यार मेरा भी यही हाल है। अपने मन का तो कुछ करना ही नहीं है।
सब मम्मी पापा के मन का करो उनके हिसाब से उठो ,बैठो।
खाओ पियो नहीं कि थोड़ी देर हम को शांति से रहने दे।
कितना भी मेहनत कर लो कभी खुश नहीं होते।
उनको तो कम ही दिखती है कभी एक नंबर कम आ जाए तो भले ही इतना डाटेंगे ऐसा लगे जैसे मार रहे हो।
समझ में नहीं आता यह मां-बाप यह क्यों नहीं समझते कि हम बच्चे हैं।
हम भी इंसान हैं ,घर से इस क्लास में जाओ उस क्लास में जाओ।
सुबह से लेकर रात को 10:00 बजे तक दौड़ते भागते रहो।
और जब घर आओ तो 2 मिनट सुकून नहीं शांति से बैठे हो तो पढ़ाई करो पढ़ाई करो।पूरे दिन तो पढ़ रहे हैं।पढ़ पढ़ पढ़ पढ़ कितना पढ़।
इसी तरह सब बच्चे अपने अपने मन की भड़ास निकालते हैं।
तभी एक लड़की बोलती है मेरी मां बोलती है तू लड़की है।
तुझे अच्छे कैरियर के साथ में घर का काम भी करना चाहिए।
पढ़ने के लिए ट्यूशन क्लासेस में जाओ। इधर जाओ उधर जाओ घर में पढ़ाई करो। और फिर आकर घर में मां के साथ में हाथ भी बटांओ काम में।
मैं तो बहुत ही परेशान हो गई हूं।
छोटे भाई बहन मस्ती करते रहते हैं ,
और मुझे दिन भर पढ़ाई और काम।
तुम ही बताओ यार क्या करूं।
इस तरह सब अपनी अपनी बातें कर रहे होतेहैं।
उधर रोहित के घर पर उसकी दादी मां रोहित की बात सुनकर आ जाते हैं।
और वे थोड़ी देर तो इधर उधर की बातें करते हैं।
फिर उसकी मां को बोलते हैं आज रोहित दिखाई नहीं दे रहा है।
कहां गया है मां बोलती है ट्यूशन गया होगा। फिर उसके 94.5% मार्क्स पर एकदम गुस्से से बोलने लगती है इतने कम नंबर।
तो उसकी दादी मां एकदम उसको रोक देती है।और बहुत डांट लगाती है दोनों को
रोहित के मां बाप को।
कि तुम बच्चे को शांति से जीने नहीं दे रहे हो। उस पर इतना ज्यादा प्रेशर डाल रहे हो कि वह परेशान हो गया है।जब तुम छोटे थे तुम्हारे साथ भी ऐसा करा होता तो।
तुमने जिस लाइन को पसंद करा हमने उसी लाइन में तुमको जाने दिया।और शांति से बचपन तुम्हारा गया है।
इतने सारे नंबर आने परभी तुम बच्चे को डांट लगा रहे हो।
उसको भीकम कह रहे हो फिर क्या है अपनी जान लगाकर बच्चे को समझ कर और समझा कर के प्यार से उसके साथ रहना होता है।
ना कि उसके ऊपर जवाबदारी छोड़ देना होता है।जो तुम नहीं कर पाए वह वो करे। अच्छा गुड्डू मैं तुमसे पूछती हूं तुम्हारे ट्वेल्थ में कितने नंबर आए थे।
कभी तुम्हारे 70% से ज्यादा आए।
तो भी हमने तुमको कभी बोला तुम इतने कम नंबर क्यों लाए।
बल्कि हम 70% पर भी पार्टी करते थे।
और तुम बच्चे के 94.5 परसेंट नंबर पर भी उसको लड़ रहे हो ,कि इतने कम नंबर क्यों आए।
थोड़ा बच्चों के साथ अच्छी तरह व्यवहार करो। हमने तो तुम्हें यह नहीं सिखाया था। और यह दिन भर की टकटक क्या होती है। कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारा बच्चा अवसाद में चला जाए।
पहले ही तुमने उसके ऊपर इतनी जबरदस्त जबरदस्ती की जवाबदारी सौंपी है।
उसको मेडिकल में नहीं जाना है, उसको इंजीनियरिंग करना है तो करने दो ना।क्यों उसके पीछे पड़े हो।
कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारी इकलौती औलाद से ही तुम को हाथ धोना पड़े। डिप्रेशन में चला जाए तो
और वह कुछ ना कर सके।
सोचो सोचो और बहुत डांट लगाते हैं।
यह सब सुनकर वे भी सकते में आ जाते हैं। बच्चा अगर हम ढंग हमसे प्यार से व्यवहार नहीं करा तो अवसाद में जा सकता है।
इस बात में उनकी आंखें खोल दी।
और जब रोहित घर आया अपनी दादी मां को देखा तो बहुत खुश हुआ। और जाकर प्यार से उनसे लिपट गया।
और उनसे खूब बातें करने लगा।
तभी उसके मां-बाप आ गए और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते बोलते हैं बच्चे हमसे गलती हो गई।
तेरे इतने अच्छे नंबर पर भी हम लड़े।
हमें माफ कर दे आगे से ऐसा नहीं होगा।
तेरे को नहीं लड़ेंगे ,तेरे मन से जिस लाइन में जाना चाहता है जा।
बस अच्छी तरह पढ़ाई कर और अपना कैरियर बना।
रोहित आंखों आंखों में अपनी दादी को इशारा करता है तो दादी इशारे से बोलती है हां मैंने समझाया
इसीलिए ऐसा हुआ है यह बदलाव आया है रोहित को भी अपने पापा मम्मी से तो प्यार था। मगर उनकी डांट से और व्यवहार से बहुत दुखी था।
एक बार तो उसको विश्वास ही नहीं हुआ। मगर उसके मम्मी पापा बार-बार में बोल रहे थे तो वह उनसे जाकर लिपट गया।
और बोला मैं भी बहुत मेहनत करूंगा कभी निराश नहीं करूंगा।
मगर मुझे मेडिकल में नहीं इंजीनियरिंग में जानाहै।
यह तो अच्छा है कि ट्वेल्थ में गणित और बायोलॉजी दोनों है दोनों ऑप्शन खुले हैं।
नहीं तो मुझे जबरदस्ती मेडिकल में भेजने का आप ट्राई कर रहे थे।
और मैं बहुत मुश्किल कर से अपने मन को मार कर पढ़ाई कर रहा था ,जो नहीं करना चाहता था।
मेरे दिमाग पर बहुत बोझ था।
आज आपने मेरे दिमाग का बोझ हल्का कर दिया।
अब मैं आपको बहुत मेहनत करके बहुत अच्छा इंजीनियर बन कर दिखाऊंगा।
मम्मी पापा बोलते हैं तो तेरी दादी मां का धन्यवाद कर उन्होंने ही हमको यह सीख दी है।
नहीं तो हम तो मेडिकल पर ही अटके रहते सही है।
एक बच्चा होता है तो मां-बाप अपनी सारी अपेक्षाएं उसी पर थोपदेते हैं।
हम भी वैसा ही कर रहे थे।
हमको माफ कर दे बच्चे।
और मां जी आप आए जो बहुत अच्छा रहा अब आप यही हमारे साथ रहो रोहित को भी अच्छा लगेगा और हमको भी और आपसे अच्छी अच्छी शिक्षा जानने मिलेगी।
दादी मां बोलती हैं हां मैं थोड़े दिन तुम्हारे साथ रहूंगी।
और आती जाती रहूंगी ताकि तुम बदल ना जाओ और रोहित को अच्छी तरह जीने दो सब हंसने लगते हैं।
