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Arunima Thakur

Children Stories Classics Inspirational

4  

Arunima Thakur

Children Stories Classics Inspirational

बच्चों का उपहार

बच्चों का उपहार

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अभी कुछ दिन पहले की बात है। दीवाली की छुट्टियों में विजय काका यू.एस.ए. से तीन साल बाद घर वापस आएँ है । कोरोना के केसेस अभी तो बहुत कम हो गए हैं फिर भी वह सात दिन क्वॉरेंटाइन थे और आज बिल्डिंग में सब से मिलने निकले हैं। इस बार बच्चे उन्हें देखकर उतनी अच्छी प्रतिक्रिया नहीं कर रहे हैं । उन्हें बड़ा सूना सूना सा लग रहा है । नहीं तो तीन साल पहले तो यही बच्चे उन्हें घेर कर बैठ जाते थे, काका कहानी सुनाओ, काका हमारे लिए क्या लाए हो ? ना जाने कितनी बातें I क्या बच्चें बड़े हो गए हैं इसलिए ?

या इस साल अब तो हर बच्चे के हाथ में मोबाइल है । अब वह पता नहीं पढ़ रहें हैं या खेल रहें है। जो भी हो बच्चों ने उनका स्वागत बड़ा फिक्का - फिक्का किया I वह जिस भी घर गये हर बच्चे के मुँह से एक ही वाक्य सुना "मॉम बोर हो रहे हैं "। 

"अरे तो कुछ करो ना" । 

"क्या करें काकू ? कुछ करने को है ही नहीं । क्लासेस की छुट्टी है। कोई भी आउटडोर एक्टिविटी नहीं कर पा रहे हैं"। 

"अरे तो भाई क्या फर्क पड़ता है । घर में करने के लिए कितने सारे काम है, कुछ भी करो"।

खैर एक दिन विजय काकू ने सब बच्चों को अपने घर पर बुलाया और बोले, "देखो मैं स्पेशल गिफ्ट ( विशेष उपहार) तुम लोग के लिए लाया हूँ । पर यह उसे ही मिलेगा जो मुझे कुछ स्पेशल गिफ्ट देगा ।"

"पर हम आप को क्या दे सकते हैं ? आपके पास तो सब कुछ है", बच्चों ने हैरत से पूछा । 

"वैसे भी मुझे बाजार से खरीद कर उपहार चाहिए भी नहीं । तुम लोगों को जो भी कुछ आता हो अपने हाथ से बना कर दो। अपनी रुचि का कुछ भी"।

 शानू उछलते हुए बोली, "हाँ सच में, मैं आपको अपने हाथ की पेंटिंग बना कर दूंगी" । 

 बाकी बच्चे दुखी होते हुए बोले, "हाँ शानू तो अच्छी पेंटिंग करती है पर फिर हम क्या करेंगे"?  

विजय काकू ने बोला, "सोचो सोचो तुम्हारी रुचि किसमें है और तुम मुझे उससे संबंधित क्या बनाकर दे सकते हो"।  

आदि सोचते हुए बोला, "मुझे खाना बनाना अच्छा लगता है । ठीक है मैं आपके लिए एक स्पेशल डिश बनाऊंगा। पर उसके लिए मुझे एक-दो दिन कुछ तैयारी करनी पड़ेगी" । 

काकू बोले, "हाँ - हाँ कोई बात नहीं मैं तुम्हें पंद्रह दिन का समय देता हूँ" । 

तभी जय बोला, "पर मुझे तो कुछ आता ही नहीं है मुझे तो सिर्फ क्रिकेट खेलना अच्छा लगता है फिर मैं आपको क्या गिफ्ट करू" ? 

काकू ने बोला, "तुम सोचों, तुम मुझे क्रिकेट से संबंधित क्या उपहार दे सकते हों" ?   

रिंकू उदास सा बोला, "सच में मुझे तो कुछ भी नहीं आता हैं"। 

"आता कैसे नहीं, तुम बागवानी कितनी अच्छी करते हो"। काकू उसे प्रोत्साहित करते हुए बोले।

"तभी मायरा बोली, "मैं आजकल मम्मी से कढ़ाई सीख रही हूँ। काकू मैं आपके लिए कुर्ता काढूँगी" । 

श्वेता शरमाते हुए बोली, "मैं दादी से बात करके आप के ऊपर एक कविता लिखूंगी" ।

 "अरे वाह ! तुझे कविता लिखनी आती है । यह तो बहुत अच्छी बात है", कह कर काकू मुस्कुराए।

तभी सोनू बोला, "पर मुझे तो सिर्फ चेस (शतरंज) खेलना आता है। तो मैं क्या करूँ" ? 

काकू ने बोला, "हम तुम्हारी प्रतियोगिता रखेंगे । अगर तुम जीत जाते हो तो वही मेरा गिफ्ट होगा"।

 "पर किसके साथ ? अपनी बिल्डिंग में तो कोई नहीं जिसे शतरंज खेलना पसंद हों", थोड़े निराशा भरे स्वर में सोनू बोला। 

काकू मुस्कुराए और बोले, "ऐसा नहीं है। वह जो कोने पर वाले दादाजी हैं ना, वह बहुत अच्छा शतरंज खेलते हैं "।

"क्या सचमुच ? हाँ तो ठीक है मैं उनके साथ रोज शतरंज की तैयारी किया करूंगा", सोनू खुशी से चीखता हुआ बोला।

इसी तरह सब बच्चों ने कुछ ना कुछ गिफ्ट (उपहार) अपने हाथ से बनाकर विजय काकू को देने की सोचीं। आखिर काकू उनके लिए स्पेशल गिफ्ट जो लाए थे। उसको भी लेना था ना।

 दूसरे दिन से ही बिल्डिंग के सारे बच्चे किसी ना किसी काम में व्यस्त हो गए । अब किसी के हाथ में मोबाइल नहीं दिखता था। सब जी जान से जुटे हुए थे कि काकू का उपहार उन्हें ही मिले । पर अब अगर कोई उन्हें कुछ काम के लिए बुलाता था तो वे ना बोल देते थे । नहीं मैं नहीं करूँगा । मैं काकू लिए उपहार तैयार कर रहा हूँ। चाहे वह आदि हो या रिंकू, सोनू हो या श्वेता । सिर्फ मायरा ही एक थी जो काकू के कुर्ते पर कढ़ाई के साथ-साथ लोगों की मदद भी कर रही थी । पन्द्रह दिन का समय तो पलक झपकते ही बीत गया । सब बच्चे बहुत खुशी-खुशी अपने उपहार के साथ तैयार थे । सिर्फ मायरा ही थोड़ी मायूस थी। वैसे वह खुश भी थी कि उसे ना सही किसी को तो उपहार मिलेगा । सबसे पहले शानू ने एक खूबसूरत सी पेंटिग काकू को पकड़ाई । काकू ने पेंटिंग की खूब तारीफ की तो शानू को लगा यह उपहार तो उसको ही मिलेगा ।

 उसके बाद जय ने एक खूबसूरत सी हाथ से बनी हुई डायरी क्रिकेट के अलग-अलग शानदार तथ्यों के साथ काकू को दी। काकू ने डायरी की भी खूब तारीफ की । 

आदि भी एक प्लेट में कोई एक स्पेशल डिश बनाकर लाया था । जिसकी खुशबू से ही काकू बहुत खुश हो गए थे । उन्हें डिश खाने में भी बहुत पसन्द आयी। आदि को लगा अब तो उपहार उसे ही मिलेगा।

रिंकू ने भी एक खूबसूरत सा फूल वाला गमला काकू को भेंट किया ।

 श्वेता शर्माते हुए आई और उसने एक कागज में सुंदर अक्षरों में लिखी हुई कविता काकू के हाथों में पकड़ाई । काकू ने उसे पढ़कर सुनाने को कहा ।

सब बच्चे बहुत ही उत्साहित थे और उनके मम्मी पापा तो बहुत ही खुश थे । क्योंकि पिछले पन्द्रह दिन से बच्चों ने मोबाइल को हाथ नहीं लगाया था I वह सब काकू को खुश करने के लिए काकू के लिए उपहार बनाने में जुटे थे।

विजय काकू ने मायरा से पूछा, "मायरा तुम्हारा उपहार कहाँ है ? कहाँ है मेरा कुर्ता"? 

मायरा ने शर्माते हुए कहा, "सॉरी काकू मैं आपका कुर्ता पूरा नहीं कर पाई। पर कोई बात नहीं, आप अपना उपहार चाहे जिसको भी दे दो। आपका कुर्ता मैं कुछ दिनों में पूरा करके दे दूंगी" ।

सोनू बोला, "और मेरी प्रतियोगिता आप कब रखोगे"?  

विजय काकू बोले, "तुम्हारी प्रतियोगिता तो हो गई और तुम हार गए हो"।  

"कैसे , कब काकू "? सोनू आश्चर्य से सबकी ओर देखते हुए बोला।

"क्यों उस दिन जब तुमने दादाजी को हरा दिया था, तब तुम उन्हें कैसे नाच नाच का चिढ़ा रहे थे । क्या हमें अपने से बड़ों के साथ इस तरह से पेश आना चाहिए ? वह तुमसे बड़े हैं, तुम्हें उनसे कुछ सीखना चाहिए था ना कि हराकर अपने ऊपर अभिमान करना"।

 सोनू अपने किये पर शर्मिंदा था। बाकी बच्चे भी काकू की बात समझ पा रहे थे।

विजय काकू ने सब बच्चों को देखते हुए पूछा, "तो बताओ कौन है उपहार का हकदार "? 

सब बोलने लगे मैं, मैं, मैं, । 

तब काकू ने सब को शांत करते हुए कहा, "वास्तव में इस इनाम की हकदार तो सिर्फ मायरा है" । 

"पर मायरा क्यों ? उसने तो अपना उपहार भी तैयार नहीं किया है" ? सब बच्चों ने एक स्वर में पूछा । 

तब काकू ने बोला, "मैं इतने दिनों से तुम सब पर नजर रखे हुए था । तुम सब ने उपहार तैयार करने के चक्कर में अपने से बड़ों की कोई मदद नहीं की I उनकी बात नहीं मानी । उनकी बातों को नजरअंदाज किया। पर मायरा ने उपहार बनाने के साथ-साथ अपनी मम्मी के साथ काम में हाथ भी बताया, दादी के साथ समय भी बिताया, पापा के साथ पढ़ाई भी की। यही नहीं अगर अगल बगल में भी किसी ने उससे कुछ काम के लिए कहा तो उसने चटपट वह काम करके दिया I वही तुम लोगों ने हर काम के लिए मना किया। इसीलिए मायरा का उपहार अधूरा होकर भी सबसे खूबसूरत है"।

और मुझे लगता है तुम सबकी समझ में भी यह बात आ गई होगी कि किसी को कुछ देकर खुश करने की अपेक्षा हम जरुरत पड़ने पर उसकी मदद करके ज्यादा खुश कर सकते हैं । अपने बुजुर्गों के साथ बैठकर बातें करना, उनकी इज्जत करना, अपने मम्मी पापा की बातें मानना तुम्हारें इन अच्छे गुणों का उपहार हम सबको चाहिए। और हाँ आज के बाद अपने समय का सदुपयोग करो। तुम लोगों को इतनी सारी चीजें आती है करनी। बैठ कर बोर हो रहे कहने से अच्छा है अपना समय इन सब कामों को करने में लगाओ ज्यादा खुशी मिलेगी। इसी के साथ काकू ने अपने पास से बहुत सारे उपहार निकाल कर सब को बाँटे। पर बच्चों को तो उपहार से भी प्यारा एक उपहार मिल गया था कि अपने समय का सदुपयोग करो इस ज्ञान का उपहार।


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