बैक टू सिटी ऑफ़ जॉय - कोलकाता
बैक टू सिटी ऑफ़ जॉय - कोलकाता
आज बहुत दिन बाद वापिस कोलकाता आना हुआ। जब पहली बार यहाँ आया तो मेरे जैसे नोर्थ इंडीयन के लिए ये एकदम अलग ग्रह पर आने जैसा था। यहाँ के लोगों, रास्तों और संस्कृति का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था। पर आज यहाँ के रास्ते और लोग मुझे नोस्टलजिया शब्द का अर्थ महसूस करा रहे थे।
हावड़ा स्टेशन से बाहर निकलते ही चमकती धूप और खुले आसमान से सामना हुआ। जो की दिल्ली में पिछले कई महीनों से फोग के स्मोग के नीचे दब गई थी। या यूँ कहें जेनयू के नजीब की तरह ग़ायब हो गई थी।
धूप पड़ते ही महीनों से नाक में दबी हड़प्पा मोहनजोदरो की सभ्यता ने छींक के रूप भचाभच-भचाभच बाहर निकलते हुए मेरे स्वागत में मोती बिखेर दिए।
दिल्ली में बहुत समय से CO2 ने अपने प्यार में हमारी नाक और गले को जकड़ा हुआ था। धूप खाते ही नाक अब हमारे साथ राहत की भी साँस ले रही थी पर गला अभी रह रहकर किसी चैनल के ख़राब सिग्नल की तरह खरखरा रहा था। उम्मीद है कुछ दिन में शुद्ध O2 अपना कमाल दिखाएगी और गला फ़िर लता मंगेशकर और जेंट्स गागा हो जाएगा (लेडी गागा इसलिए नहीं क्योंकि वो लेडी हैं, लता मंगेशकर इसलिए क्योंकि पता नहीं बस अच्छा लगा लिख दिए)। मैंने टैक्सी बुक की और मंज़िल की ओर निकल पड़ा हूँ पर इस बार की मंज़िल अलग है पर सफ़र वैसा ही है।
पर सफ़र हमेशा से मंज़िल से बेहतर रहा है। ऐसा नहीं है की ये बस मैं बोल रहा हूँ मुझसे पहले ये बात तो पुष्पा के आंसूओं के धुर विरोधी श्री राजेश खन्ना साहब ने कही थी।
उन्होंने कहा था ”ज़िंदगी एक सफ़र है सुहाना।"
देख लो उन्होंने भी “सफ़र” को ही सुहाना कहा था मंज़िल को नहीं।
इस बात की पुष्टि बाद में कपूर साहब के लड़के ने भी “सफ़र खूबसूरत है मंज़िल से भी” गाकर की।
इसलिए मैं भी मंज़िल पर नहीं पहुँचना चाहता, खिड़की से बाहर झांकते हुए सफ़र में ही रहने की चाह है मेरी।
क्योंकि हर सफर में कई क़िस्से बनते हैं, कई कहानियाँ बनती हैं, कुछ तो सफ़र में हमसफ़र भी बनते हैं।
मंज़िल पर क्या होता है कुछ नहीं...बस ख़्वाबों की प्रीमेचयूर डेथ।
सोच रहा हूँ आज ख़्वाब नहीं मरने देना है, बस देखते जाना है कभी नायक के रूप में तो कभी खलनायक के रूप में या फ़िर किसी तीसरे चरित्र किरदार के रूप में। पर फ़िर से एक अस्थाई मंज़िल आ गयी है, टैक्सी वाले ने भी “दादा आईगा छे” बोल कर उतरने का फ़रमान दे डाला है।
उतरना तो पड़ेगा पर कोई बात नहीं...कल फ़िर चलेंगे किसी नए सफ़र में कुछ और नए ख़्वाब बुनने।