Sunil Gupta teacher

Children Stories Inspirational

4.7  

Sunil Gupta teacher

Children Stories Inspirational

बैजनिया ग्वालिन

बैजनिया ग्वालिन

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 दूध - दही माखन, तुम खाओ मेरे लल्ला। बैजनिया आई - गई, मचाने को हल्ला।। दूध - दही ले लो तुम, आओ मेरे लल्ला। बैजनिया आई - गई, मचाने को हल्ला।।

 पहले दिनों में गाँव - गाँव और शहर - शहर दूध, दही, माखन बेचने ग्वाल - ग्वालिनें अपने सिर पे मटकी लेकर निकला करते थे। सभी लोग अपनी आवश्यकता अनुसार दूध - दही - माखन उनसे खरीदते थे।

एक गाँव जिसका नाम मल्लीपुर था वहाँ एक ग्वालिन जिसका नाम बैजनिया था वह अपनी स्टाईल ( शैली ) से अपना सामान बेचा करती थी बैजनिया जिस गाँव मोहल्ले में अपना राग अलापती तो वहाँ ग्राहक उससे दूध - दही लेने टूट पड़ते थे मिनटों में उसका सारा माल बिक जाता था वह उपरोक्त डायलाग हमेशा बोलती रहती थी बच्चे भी मल्लीपुर गॉव के हष्ट - पुष्ट थे उनको किसी प्रकार का रोग नहीं था और न ही उनको आँखों पर चश्मा चढ़ा था।

सारे बच्चे खूब दूध - दही माखन खाते थे। वह स्वास्थ प्रतिस्पर्धा से मल्ल युद्ध ( कुश्ती ) खेलते थे। मल्लीपुर गाँव का नाम पूरे देश में जाना जाता था वहाँ के बच्चे टाफी - बिस्कुट, गुटखा व ठंडे पानी के पेय पदार्थों का सेवन नहीं करते थे अच्छा दूध - दही - माखन व हरी हरी मौसमी सब्जियों का सेवन करते थे। सारे के सारे बच्चे पढ़ने में भी होशियार थे मल्लीपुर गाँव के बच्चे शारीरिक बल व बौद्धिक बल से जाने जाते थे। इस कहानी से हमें निम्न शिक्षायें मिलती हैं (1) दुकानदार की आकर्षक शैली से भी ग्राहक प्रभावित होते हैंं।


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