Nandita Srivastava

Others

5.0  

Nandita Srivastava

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बांगला देशी

बांगला देशी

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यह कहानी है रहमान की । रहमान हमारे पड़ोस में रहने वाला बांगला देशी था। वह तरह तरह की फलों की रेहडी लगाता था। पर बड़ा सुर में बेचने का अंदाज था। मन ना होते हुये भी आप फल खरीद ही लोगे । कभी कभी बरामदे में बैठकर पानी पीता और अपनी बातों को बताता। रहमान की बीबी और बेटीयां बांगला देश में रहती थी।वह रोजगार करने आया था और यही कर रहा था।हर कोई उसको पंसद करते थे बड़ा ही ईमानदार आने पैसे का हिसाब रखता और एक एक हिसाब अपनी कापी में लिखता ।कभी पैसे ना हो तो फल दे जाता और हँसते हुये कहता आप पानी पिलाते हो बैठाते हो वह अनमोल है।खुदा सब देखता है। एक दिन बड़ा ही दुखी था ।हमने पूछा काहे दुखी हो भइया बोला यह के लोग हमको अपना नही मानते और हर समय कहते हैअबे बंगाली अपने देश में जा बड़ा बुरा लगता है। आप ही बताये हमारा खून मॉस सब आप ही जैसा तो है। वहाँ भी तो ऐसी ही हवा चलती है और माँ गंगा ऐसे ही बह रही है।फिर ऐसी बाते काहे करतै हैं लोग दिल दुखता है।हमने समझाया भइया जिसका जो काम है करने दो तुम अपना काम करो।एक दिन पता किसी से लड़ाई दंगा हुआ है ।और पुलिस पकड़ कर ले गयी। हम भागे भागे थाने पहुँचे वहाँ हमको देखकर रो पड़ा ।हमने पूछॉ?तो बोला मेम जी हमको चिढ़ाते थे यहॉ तक तो टीक है,पर हम खाना खा रहे थे उस पर लात मार दिया बताये हम इतनी मेहनत करते है पर या खुदाया हमारे निवाला ही छीन लिया।हम भी रो पडे और उससे बोले की तुमको छुडवा रहे है तुम यहॉ ले चले जाओ और कभी लौटकर ना आना ।मन बड़ा भारी हो जा जाता है जब लोगो को मजहब देश के नाम से लड़ते देखते है,हम आप बटवारां करने वाले है कौन आज बस यही तक।


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