neha chaudhary

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अपने : वक़्त का महत्त्व

अपने : वक़्त का महत्त्व

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हमने अक्सर लोगों के मुँह सुना होगा की अपने तो अपने ही होते हैं...................तो आइये आज पढ़ते हैं अपनों  की  कहानी  नेहा की जुबानी ............


बात कुछ यही तीन साल  पहले की है,हमारे पड़ोस में ही प्रभा नाम की एक महिला रहती थी l उनके पति बहुत शराब पीते थे और उनको परेशान करते थे,

कभी कभी तो उनको बहुत  पीटते थे बो बेचारी करती भी तो क्या उसके चार बच्चे  थे  पढ़ी  लिखी भी नहीं थी तो  बस भगवान के सहारे उसकी जिंदगी चल रही थी l उनके दो भाई थे जो उन्हें बहुत प्यार करते थे!प्रभा को हमेशा यही लगता था  की उसके भाई ताकत बनेगे उनकी लेकिन हुआ कुछ यूँ प्रभा ने फैसला किया की अब बो अपने पति के साथ नहीं रहेगी, अपने भाइयों के घर चली जाएगी और उसने ऐसा ही किया उसका छोटा भाई उसे अपने घर ले आया!

कुछ दिन तो सबकुछ ठीक ठाक चलता रहा फिर आखिर इंसान है फितरत कहाँ जाएगी...कुछ दिनों में  ही प्रभा के  साथ परायों वाला ब्यवहार  होने लगा 

बात बात पर  उसे बातें सुनाने लगे उसकी खुद की बहन ने भी नहीं छोड़ा उसे,क्या कुछ नहीं सुना उस बेचारी ने, सबने  अपने अपने  हिसाब से स्वागत किया उसका, किसी ने कहा की पति के घर बापस चली जा तो  किसी ने कुछ वो कहते हैं ना जब वक़्त ख़राब हो तो फिर कोई नहीं दिखता सिवाये दुखों 

के, पर प्रभा कमजोर नहीं थी बो पढ़ी लिखी नहीं थी लेकिन उसका दिमाग़ बहुत तेज था उसने सोचा की अब खुद ही कुछ किया जाये फिर उसने सिलाई करनी शुरू कर दीऔर वो   अपना  खर्च  खुद उठाने लगी धीरे धीरे उसकी जान पहचान बढ़ने लगी और बो लोगों के साथ मिलती भी तो बहुत अच्छे से थी l

प्रभा आज सुख से अपना  जीवन जी रही हैऔर उसके अपने भी अब अपने हैं............. तो सोचों कौन  अपना है और कौन पराया......


अगर वक़्त सही तो सब अपने वक़्त  ख़राब तो अपने कहाँ हैं जनाब तो  यारों वक़्त को अपना बनाओ लोग तो खुद अपने बन जाएंगे l


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