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Laxmi Yadav

Children Stories

4  

Laxmi Yadav

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अंतरिक्ष का सफर

अंतरिक्ष का सफर

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व्योम एक बहुत ही नटखट बच्चा था। पूरा दिन उसका शरारतों मे बीतता और रात भर सौर मंडल की सैर करता। अभी वह तीसरी कक्षा मे ही था, पर उसे अंतरिक्ष से बहुत लगाव था। उसे ऋत्विक रोशन की फिल्म " कोई मिल गया " और अंग्रेजी कार्टून फिल्म " स्टार वार " बहुत पसंद थी। उसके माता पिता दोनों बड़े पद पर आसीन थे । उसके जीवन मे कोई अभाव नही था। इसलिए उसका शयन कक्ष भी उन्होंने व्योम के रुचि के अनुसार ही सजाया था। व्योम का शयन कक्ष पूरा अंतरिक्ष ही बनाया गया था। एक ओर पर ग्रह वासी का बहुत बड़ा हरे रंग का खिलौना था। उसका बिस्तर भी अंतरिक्ष यान के ढांचे का बनाया गया था। 

छुट्टियों के दिन थे। व्योम आज घर मे सुबह से अकेला था। बहुत खुश था क्योंकि आज उसे कोई रोक टोक करने वाला नहीं था। बिरजू भैया के जिम्मे व्योम था और बिरजू भैया तो व्योम बाबा की हर बात मानते थे। सुबह से मटर गश्ती करते हुए दोपहर हो गई। खाना खाने के बाद व्योम को थोड़ी सुस्ती आने लगी पर वो सोना नही चाहता था। वो एक नई बाल साहित्य की किताब ' सौर मण्डल के जीव ' की सचित्र कहानी देखने लगा। 

अचानक उसे लगा उसके कमरे मे नीले रंग की आभा आ रही है। वो तेजी से गया तो वहाँ का दृश्य देखकर रोमांचित हो गया। उसके कमरे मे अंतरिक्ष यान जैसी बड़ी गोल आकार की चीज घूम रही थी। वो बहुत उत्सुकता से निहार रहा था। वो प्लेट नुमा चीज से छोटी सी सीढ़ी निकली। उसमे से वही हरे रंग का पर ग्रह वासी उसका दोस्त जिसका उसने नाम' ग्रीन एलियन ' रखा था। वो उसके सामने खड़ा था। वो तरंगों मे बात कर रहा था। व्योम पूरा तो नही समझ पाया पर इतना जरूर समझा कि ग्रीन एलियन उसे अपने ग्रह पर ले जाना चाहता है। व्योम को तो यकीन ही नहीं हो रहा था। उसने तुरंत अपना अंतरिक्ष वेश पहना और चल दिया। ग्रीन एलियन उसे लेकर चल दिया। जब लंबे सफर के बाद व्योम ने सौर मंडल के उस नये ग्रह पर कदम रखा तो वो हवा में ही लटक गया। अपने पृथ्वी से एकदम अलग ग्रह था। व्योम को बहुत मजा आ रहा था। ग्रीन एलियन के साथ बहुत घुमा। उसने कहा भी " दोस्त, तुम्हारा ग्रह भी बहुत सुंदर है। पर अब मुझे बहुत भूख लगी है। ब्रेड जाम या टाफ़ी या कैंडी कुछ भी चलेगा। नही तो मुझे मेरे मम्मी के यहाँ भेज दो। " यह कहकर वो रुआंसा हो गया। 

आखिर ग्रीन एलियन ने अंतरिक्ष का सफर कराकर व्योम को एक खूबसूरत स्वचालित यंत्र दिया। जिससे वो कभी भी अपने इस पर ग्रह वासी मित्र से बात कर सके। व्योम मुस्कुराते हुए अपने अंतरिक्ष वेश मे हाथ हिलाते हुए अपने मित्र को विदा कर रहा था। 

इतने मे उसे मम्मी की आवाज आई। वो आँखे मलते हुए हैरान था कि वो सब सपना था.... फिर मुस्कुराते हुए सोचने लगा.... काश!! सच हो जाय.... 


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