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Sri Sri Mishra

Children Stories Inspirational

4  

Sri Sri Mishra

Children Stories Inspirational

अमूल्य गुण

अमूल्य गुण

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एक सुंदर से जंगल में सभी चिड़िया का झुंड रहता था और सभी रंगीन रंग बिरंगी रूप होने से अपनी सुंदरता के मद में चूर रहती थी जिसमें कोयल अपने काले रंग की वजह से उन लोगों को दूर से ही देखा करती थी....।

एक दिन गौरैया बोली "मैं तो बहुत तेज ऊंँचे आसमान में उड़ लेती हूंँ..." इतने में कौवा बोला "मुझ से ऊंँचा नहीं उड़ सकती... मैं तो बहुत देर तक उड़ सकता हूंँ......।"

उन दोनों की बात सुनकर तोते से रहा न गया.. वह तपाक से बोल पड़ा ." मेरी लाल चोंच... देखो कितनी सुंदर है..!! और मैं दिखने में कितना हरा हूंँ....। लोग मुझे बहुत शौक से पालते हैं ..। मैं उनके बताए शब्दों को दोहराता हूंँ..। मैं रट्टू तोता कहलाता हूंँ....।"

इतने में नीचे बैठे मोर ने अपने पंँखों को पूरा फैला कर कहा "देखो कितने सुंदर मेरे पंँख हैं ...लोग मुझे मेरा नाच देखने को तरसते हैं..।"

उधर डाल पर बैठी नीलकंठ चिड़िया से रहा न गया उसने कहा..."मैं तो शिव जी की प्रतीक मानी जाती हूंँ.. लोग मुझे देख ले तो उनका दिन बन जाता है..। मैं बहुत शुभ की प्रवृत्ति हूंँ..।" इतने में बुलबुल चिड़िया बोल पड़ी "मुझे देखो मेरा नाम कितना सुंदर है.. लोग मेरे नाम से अपने बच्चों का नाम रखते हैं....।"

यह सब सुनते ही कोयल से रहा न गया और उसने अपनी सुरीली आवाज में मल्हार छेड़ दिया...।उसके मल्हार से जैसे इंद्रदेव प्रसन्न हो गए और छिटपुट बारिश की बूंदे पूरे जंगल को हरा भरा कर गई..। कोयल का गीत सुनते ही सारे पशु पक्षी चुपचाप बैठ गए और उसकी सुरीली आवाज में जैसे गुम हो गए.....।

अपना गाना खत्म करते ही ..कोयल बोली.... "मैं काली हूंँ तो क्या हुआ...!!! ईश्वर ने मुझे कितनी सुंदर आवाज दी है..!! मैं अपनी आवाज से किसी को भी बांँध सकती हूंँ...। किसी का भी मन मोह सकती हूंँ..।" इस पर सभी चिड़ियों ने उसकी हांँ में हांँ मिलाई और फिर उसको भी अपने झुंड में शामिल कर लिया......।

निष्कर्ष:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है... कि ईश्वर ने सबको अनमोल गुणों से नवाजा है । सब में कुछ ना कुछ गुण विद्यमान हैं। किसी को भी अपने ऊपर कोई अभिमान नहीं करना चाहिए । किसी को भी अपने से कम नहीं आंकना चाहिए। ईश्वर की हर कृति सर्वश्रेष्ठ है..।



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