अकेली संतान
अकेली संतान
पावनी और मयंक की शादी हुए पूरे नौ साल हो गए थे । उनकी गोद अभी भी सूनी थी । मयंक गूगल में नौकरी करते थे और पावनी स्कूल में पढ़ाती थी । सब कुछ ठीक था पर दोनों इस बात से दुखी थे कि उनकी अपनी कोई संतान नहीं है । उन्होंने बहुत सारे डॉक्टरों के चक्कर काटे पैसा पानी की तरह बहाया परंतु कोई बात नहीं बनी । ईश्वर की इच्छा के आगे हमारी कुछ नहीं चलती है । एक दिन पावनी बिस्तर से उठी पर चक्कर आने से फिर लेट गई ।जब मयंक को पता चला उसे तुरंत अस्पताल ले कर गया । वहाँ डॉक्टर ने जो बताया उसे सुनकर दोनों को यक़ीन ही नहीं हुआ था । पावनी माँ बनने वाली थी । मयंक ने पावनी से नौकरी छुडवादी और उसकी अच्छे से जी जान लगाकर देखभाल करने लगा । धीरे-धीरे वह दिन भी आ गया जब पावनी को अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसने सुंदर सी बेटी को जन्म दिया था । दोनों सातवें आसमान पर पहुँच गए थे । पावनी घर पहुँची तब तक उसके माता-पिता भी आ गए थे ।मयंक ने दो दिन बाद उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया कि मैंने एक महीने की छुट्टी ली है ।हम दोनों अपनी बेटी को पालेंगे । वे लोग भी हँसते हुए चले गए क्योंकि उन्हें मालूम था कि दोनों उस बच्ची को लेकर बहुत पोजेसिव हैं । बच्ची का नाम रिया रखा गया था । रिया अपने माता-पिता की अकेली संतान थी । उसके बाद पावनी और मयंक के कोई बच्चे नहीं हुए । रिया में उनकी जान बसती थी । उन दोनों के प्यार में पलती हुई रिया बड़ी हो गई थी । स्कूल की शिक्षा ख़त्म होते ही वह बाहर जाकर पढ़ाई करने की ज़िद करने लगी पर माता-पिता उसे छोड़कर नहीं रह सकते थे ।इसलिए उसे समझाने लगे कि वह उनकी ज़िंदगी में कितने मायने रखती है पर उसके दिमाग़ में बाहर जाने का भूत सवार हो गया था । पिता ने सोचा चलो मैं अपनी कंपनी की तरफ़ से रिया के साथ अमेरिका चला जाता हूँ । रिया को बाहर जाने की इजाज़त दे दी और उससे यह भी कहा कि तुम हमारी अकेली संतान हो हम तुम्हारे बिना नहीं रह सकते हैं ।इसलिए मैंने अपने ऑफिस में बात कर लिया है ।जब मुझे परमिशन मिलेगा तो हम भी आ जाएँगे ।
रिया ने कहा "देखिए पापा आप लोग प्राक्टिकल होकर सोचिए । मैं अकेली हूँ ठीक है पर मुझे भी स्वतंत्र होकर जीना सिखाइए ।इस तरह आप मेरे पीछे पीछे घूमेंगे तो मैं अपना काम कभी अकेले नहीं रह सकूँगी । माँ सोचिए न चिड़िया भी अपने बच्चों को अकेले जीना सिखाती है फिर हम तो मनुष्य हैं । अपने बच्चों पर भरोसा कीजिए अपने सिखाए संस्कारों की इज़्ज़त कीजिए । कल मेरी शादी होगी तब आप मेरे ससुराल में आकर नहीं रह सकते हैं न । मैं कभी भी आपको दुख नहीं दूँगी ।आपके सिखाए सीखों की इज़्ज़त करूँगी ।प्लीज़ मुझे अकेले जाने दीजिए ।" मयंक और पावनी ने दिल पर पत्थर रख कर अपनी लाड़ली को फ़्लाइट बिठाकर वापस आ जाते हैं ।
दोस्तों बच्चे अकेले हैं तो क्या हुआ उन्हें इतनी तो स्वतंत्रता देनी चाहिए कि वे बेझिझक अपनी लड़ाई ख़ुद लड सके ।