अहंकारी पहाड़िया
अहंकारी पहाड़िया
एक बड़े तालाब में बड़ा भारी मगर रहता था। उसका नाम पहाड़िया था। पहाड़िया से सभी जीव - जन्तु यहाँ तक कि बगल के गाँव के लोग भी डरते थे। पहाड़िया को अपनी ताकत का बड़ा भारी अहंकार था।उसने अपने इलाके के साथ - साथ दूर तक अपना रौब कायम कर रखा था लोगों को समझ में नहीं आता क्या करें। पहाड़िया से डरकर तालाब के सभी जीव - जन्तु या तो पहाड़िया द्वारा मारे गए या डरकर दूसरी जगह भाग गए। यहाँ तक कि पहाड़िया ने अपने मित्रों, रिश्तेदारों तक को नहीं छोड़ा अब वह अकेला ही मद में चूर यहाँ - वहां विचरता था। कुछ दिनों बाद उसे खाने के लाले पड़ गए सो वह अब रात्रि में बगल के गाँव में जाकर चोरी से छोटे - मोटे जानवरों को खाने लगा। एक दिन गाँव के लोगों ने पहाड़िया मगरमच्छ की चोरी पकड़ ली। सभी गाँव वालों ने मिलकर योजना बनाई।
इस पहाड़िया से हम बहुत तंग आ चुके हैं। अब तो यह हमारे गाँव में घुसकर हमारे जानवरों तक को खाने लगा है। क्यों न इसको पकड़कर दूर बहती नदी में छोड़ दिया जाए। सभी गाँव वालों ने अपनी योजना के अनुसार गाँव की हर गली चौराहों व रास्तों पर जाल लगा दिये। रात में ज्यों ही पहाड़िया गॉव आया गांववालों ने उसे जाल में फंसाकर पकड़ लिया उसकी खूब पिटाई की व उसे दूर जंगल में बहती नदी में छोड़ आए। अब सभी ने खुश होकर चैन की सांस ली। इस कहानी से हमें निम्न शिक्षायें मिलती हैं
( 1 ) अहंकार ( घमंड ) नहीं करना चाहिए।
( 2 ) अनावश्यक लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए।
( 3 ) अहंकार का एक दिन तो अंत होना ही है
