आत्महत्या क्यों?
आत्महत्या क्यों?
यह बात समझ नहीं आ रही है कि कोई आत्महत्या क्यों करता है। जब आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है, फिर आत्महत्या क्यों? किसी के मरने या न मरने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता तो फिर मरना क्यों? हां जिन पर फर्क पड़ता है, वह होता है उसका अपना परिवार - मां, पिता, पत्नी बच्चे। अपनी असमय मौत पर उनको रोते-बिलखते छोड़ जाने से ज्यादा बेहतर होगा, सही समय का इंतजार करना। यह कटु सत्य है कि जब मुसीबत आई है तो जाएगी भी। इसमें थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है। सोचिए क्या आत्महत्या के बाद परिवार के हालात सुधर जाएंगे, उनकी मुसीबतें कम हो जाएंगी। इसका सीधा जवाब होगा बिलकुल नहीं। जब आत्महत्या के बाद भी अपनों के हालात बेहतर नहीं होगे तो फिर मरना क्यों। जिंदा रहकर अपनों के साथ मिल जुल कर मुसीबत का सामना किया जाए। इसके लिए अपना रोजगार बदला जा सकता है। दुनिया में हजारों काम है अपनी रोजी-रोटी कमाने लायक। एक काम में लगातार असफलता मिलने के बाद काम बदला जा सकता है।