आत्मग्लानि
आत्मग्लानि
आज सुबह से शोभा को तेज बुखार था,
जैसे तैसे उसने अपने बच्चों को टिफिन दिया फिर सो गए,
दिन के 11:00 बज गए घड़ी देखते हुए उसने सोचा कमला आज भी कितना लेट हो गई ,बिस्तर से उठते हुए बड़बड़ाने लगी डॉक्टर का अपॉइंटमेंट है मुझे दिखाने भी जाना है और इसका कुछ पता नहीं आजकल यह बहुत लेट होने लगी है ऐसा सोचते सोचते चाय चढ़ा दिया
तभी राज का फोन आता है कि तुम तैयार हो जाओ मैं ऑफिस से आकर तुम्हें दिखा दूंगा ,
घर का बिखरा काम देख कर शोभा को बहुत गुस्सा आ रहा था उसने तुरंत कमला को फोन किया कमला ने फोन नहीं उठाया शोभा सोचने लगी यह हमेशा ऐसा करती है मेरा फोन नहीं उठाती, दोबारा उसने ट्राई किया कमला ने फोन उठाकर बोला मैडम मैं नहीं आ पाऊंगी मेरे पति की तबीयत खराब है मैं हॉस्पिटल लेकर आई हूं इतना सुनते ही शोभा का तो दिमाग ही खराब हो गया उसने कमला को बहुत डांटा तुम लोगों का यह रोज का काम है मेरी भी तो तबीयत खराब है मैं क्या करूं अभी किसी भी तरह मेरा काम करवाओ कहकर फोन काट दिया,
दूसरे दिन कमला चुपचाप सारा काम कर रही थी शोभा ने उसे चाय दिया और बोला कमला अब इतना लेट तुम्हारा नहीं चलेगा मेरी तबीयत खराब है और तुम छुट्टियां कर रही हो, तभी कमला ने बोला भाभी कल मैं नहीं आऊंगी मेरे पति को कैंसर हो गया है उसकी इलाज के लिए मुझे बाहर जाना पड़ेगा।
शोभा को लगा किसी ने उसके सर पर दस घड़ा पानी डाल दिया हो आत्मग्लानि से भर गई , उसे लगा वो कितनी स्वार्थी है। उसे अपना दुःख बड़ा लग रहा था उसने कमला का दुःख जानने की कोशिश ही नहीं की।।
