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Madhu Vashishta

Others

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Madhu Vashishta

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आखिर आज क्या हुआ?

आखिर आज क्या हुआ?

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   तुम्हें मम्मी को सॉरी कहना चाहिए , गगन ने वाणी से जब कहा तो वाणी फिर सोच में पड़ गई कि आज क्या हुआ? बिना विरोध करें उसने गगन को कहा ठीक है मांग लूंगी। गगन भी बाहर चला गया , एक बार फिर उसने आज की दिनचर्या के बारे में सोचा, हमेशा के जैसे वह सुबह स्कूल गई थी और 3:00 बजे जब आए तो शांताबाई ने खाना बनाकर डाइनिंग टेबल पर रखा हुआ था उसने वह खाया। दोपहर को सोने के बाद 5:00 बजे उठकर उसने मम्मी के लिए चाय बनाई थी, जब उसने मम्मी को चाय दी थी तभी तो कुछ नहीं हो गया? वैसे तभी शांताबाई शाम का खाना बनाने भी आ गई थी, उसके बाद से वह कॉपी चेक कर रही थी। स्कूल में इंस्पेक्शन के कारण उसे सारी कॉपियां कल तक चेक करके देनी थी तो वह वही कर रही थी, तो इस बीच ऐसा उसने मम्मी को कह क्या दिया जो उसे मम्मी से माफी मांगनी पढ़ रही है।


      चलो छोड़ो कोई भी कारण है ,अब यह जानने का ना तो समय है और ना ही मन । कल तक स्कूल में सारी कॉपियां चेक कर के देनी है। यदि वह कारण जानने के लिए तर्क वितर्क कुतर्क कुछ भी करे अंत में दोषी वही ठहराई जाएगी और घर का माहौल बिगड़ेगा सो अलग। चलो भैया कॉपी बाद में चेक कर लेंगे पहले माफी ही मांग आते हैं सोच कर वाणी मम्मी के कमरे की ओर चल दी।

   

  अब तो वाणी को माफी मांगने की आदत ही पड़ गई है, यह लगभग हर तीसरे दिन का ही रूटीन है। उस दिन मम्मी सवेरे मॉर्निंग वॉक के लिए गई हुई थी, क्योंकि शांताबाई 8:00 बजे तक आती है इसलिए अपना नाश्ता और लंच तो सुबह उसे खुद ही बनाना पड़ता है वह अपना लंच और नाश्ता बना कर जल्दी में बाहर निकली ही थी और उसकी बस छूटने ही वाली थी वह भागकर बस में चढ़ी तभी उसने देखा कि मम्मी मॉर्निंग वॉक करके घर में घुस रही थी। गगन जैसे ही ऑफिस से घर आया और मम्मी के पास बैठा तो मम्मी ने उसे दुखी होते हुए कहा कि देख वाणी मुझे नमस्ते करके नहीं गई और ना ही मुझे बता कर अपने स्कूल गई। अब वह किसी को भी कैसे और क्या समझाए बस वाणी ने माफी मांग ली थी और बात रफा-दफा हो गई थी।


    रागिनी ( वाणी की ननद , गगन की बहन) उस दिन बात करते हुए बता रही थी कि कोरोना के कारण उनका काम बहुत कम हो गया है और बहुत सा स्टाफ अपने घर भी चला गया इसलिए उसके पति को बहुत सारा काम करना पड़ रहा है। वाणी ने यूं ही रागिनी को आईडिया दे दिया कि आप क्यों नहीं कंप्यूटर सीख करके नंदोई जी के ऑफिस का काम संभाल लेती, घर में काम करने के बाद आप फ्री तो होती हो । वह तो बोल कर चली गई लेकिन गगन को मम्मी ने जो सुनाया कि सबके घर ऐसे नहीं होते कि बहू घर में भी कॉपियां चेक कर ले। अगर वह भी दफ्तर का काम करेगी तो उसके बच्चे क्या वाणी संभालेगी? उसके घर में कितनी भी कमी आई हो क्या तेरी बहन ने वाणी से कुछ मांगा है? बस जी आ गया गगन का आर्डर, मम्मी से माफी मांग लो। कुछ भी किसी को समझाने का कोई फायदा था ही नहीं। 


     गगन जब भी मम्मी के पास से आता है तो मम्मी किसी ना किसी कारण से रूठी हुई होती है और अंत में गगन के कहने पर उसको माफी मांगनी ही पड़ती है। अगर ऐसा करने से घर का माहौल सुधर जाता है तो ऐसा ही सही। वाणी फिर मम्मी के पास जाकर बोली मम्मी सॉरी! तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था? मम्मी बोली। सॉरी मम्मी आगे से ख्याल रखूंगी , कहकर वाणी अपने कमरे में वापस आकर कॉपियां चेक करने लगी लेकिन रह-रहकर उसके मन में एक ही ख्याल आ रहा था आखिर आज हुआ क्या?


  "वाणी थोड़ा सा तो कुछ खा लो गगन ने कहा, कल से तुमने कुछ भी नहीं खाया।" क्या करूं कुछ भी खाती हूं हजम ही नहीं होता। तुम शांताबाई को बोलकर जो कुछ भी खा सको वह बनवा लो।


"नहीं गगन, वैसे भी कल जब दीदी के बच्चे मेरे पास पढ़ने के लिए आए थे तब भी मेरी तबीयत इतनी खराब थी कि मैं उन्हें पढ़ा नहीं पाई। जीजा जी के आने पर भी मैं बाहर डाइनिंग टेबल तक भी नहीं जा पाई। असल में मुझे वोमिटिंग हो ही बहुत हो रही है, मुझे तो यूं ही डर लगा रहता है कल मम्मी और दीदी कह भी रही थी कि वाणी क्या थोड़ी देर को भी बाहर डाइनिंग टेबल तक आकर जीजा जी को नमस्ते नहीं कर सकती थी उन्हें कितना बुरा लगा होगा? अब तो वैसे भी वह दीदी को छोड़ने आए थे और एक दो महीना हैदराबाद में ही रहेंगे।मैं सुन रही थी, विश्वास करो मैं बिल्कुल नहीं चाहती कि घर में थोड़ी भी मेरे कारण से परेशानी हो लेकिन अब क्या करूं?"


गगन मुस्कुराते हुए वाणी के पास आया और उसे कहा "तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है। तुम्हें सिर्फ तुम्हारा और हमारे होने वाले बच्चे का ख्याल रखना है। मुझे मालूम है कि तुम सिर्फ इसलिए मेरे कहने पर मम्मी को सॉरी बोल आती थी ताकि घर में कोई भी बात ना बढ़े और तुम अपना घर और ऑफिस आराम से चला सको लेकिन अब तुम स्कूल से लीव लेकर अपना ख्याल करने के लिए घर पर बैठो और सिर्फ अपना ख्याल रखो। मां ने मुझे कल कहा भी था कि वाणी ने बच्चों को नहीं पढ़ाया और उन्हें कमरे से बाहर जाने को कह दिया। उन्होंने यह भी कहा था की वाणी को एक बार तो जीजा जी से मिलने आना ही चाहिए था तो मैंने उन्हें समझा दिया है कि वाणी की तबीयत खराब है कोई भी नहीं चाहता कि वह अपना बुरा हाल किसी को भी दिखाए। आज तक क्या वाणी ने आपकी हर बात नहीं मानी और कुछ भी उसे गलती लगी तो उसने महसूस भी करा। क्या आज आप को नहीं समझना चाहिए आप दोनों तो खुद ही औरत हो और वाणी का क्या हाल हो रहा होगा आप दोनों को खुद नहीं समझना चाहिए क्या? क्या आपको लगता है वाणी वास्तव में ही इतनी खुदगर्ज है कि वह बच्चों को ना पढ़ाएं अरे वह तो बाहर के बच्चों को भी स्कूल में पढ़ाती है तो अपने घर के बच्चों को नहीं पड़ाएगी? किसी भी मेहमान के आदर करने में उसने आज तक कोई कमी करी है जो आज वह सिर्फ जीजाजी की बेइज्ज़ती करने के उद्देश्य से ही बाहर नहीं आएगी। मैंने दोनों को ही समझा दिया है। कोई तुमसे नाराज नहीं है तुम सिर्फ अपना ख्याल रखो।"


    थोड़ी ही देर में दीदी भी वाणी के कमरे में आ गई और उसे प्यार करते हुए बोली "वाणी यह लो यह अनार का जूस पी लो इससे तुम्हारा मन भी अच्छा हो जाएगा और मैंने कुछ फ्रूट्स शांताबाई से कटवा कर रखे हैं यह चौपर करे हुए फ्रूट्स और गाजर वगैरह तुम्हारी हेल्थ के लिए और डाइजेशन के लिए बहुत अच्छे हैं।"


    थोड़ी देर में मम्मी ने भी उसे आकर बोला "अरे भाई तुम टेंशन ना ले कर सिर्फ और सिर्फ हमारे घर में आने वाले नए बच्चे का ख्याल रखो, तुम क्या चाहती हो मैं भी तुम्हें सॉरी बोलूं कि मैं तुम्हारे कमरे में नहीं आई। अरे नहीं मम्मी मुझे पता है कि आप मुझे कितना प्यार करती हो। फिर मेरा बेटा अगर अब तुमने अपना ख्याल नहीं रखा तो तुम्हें मैं अपने ही कमरे में शिफ्ट कर लूंगी। वाणी तुम्हें तो पता ही है कि जीजा जी हैदराबाद में ही अपना क्लाइंट का काम करने के लिए 2 महीने तक रहेंगे। अब उनका यहां तो विश्वासपात्र स्टाफ है नहीं, बच्चे ऑनलाइन पढ़ पा रहे हैं तो मैं भी यहीं रहूंगी, प्लीज तुम फॉर्मल मत होना हम सब बहुत खुशी से आने वाले बच्चे की इंतजार कर रहे हैं। आखिर मेरा एक ही तो भाई है और एक ही तुम हो।" वाणी मुस्कुरा रही थी । उसको समझ आ गया था कि वह वजह जाने बिना गगन की बात को मान कर मम्मी से सॉरी बोल देती थी तो गगन के मन में उसके प्रति प्यार और भी बढ़ जाता था वह सब समझता था और शायद यही कारण था कि आज उसने घर में सब को समझा भी दिया और अब सब उससे बहुत प्यार कर रहे थे।


   


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