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Sheikh Shahzad Usmani

Children Stories Tragedy Inspirational

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Sheikh Shahzad Usmani

Children Stories Tragedy Inspirational

आबोदाना और आबोहवा

आबोदाना और आबोहवा

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वह चिड़िया चुग्गे और चुगाने वाली को भलीभाँति पहचानती थी। उसकी जीवटता, कर्मठता और त्यागशीलता को देखकर वह भी दंग रह जाती थी।

"तुम अपने रक्त से अपनों की ज़िंदगी रंग देती हो; उनके सपनों में असली रंग भर देती हो... फ़िर भी तुम ख़ुद मेरी तरह उड़ान नहीं भर पाती हो ! तुम इतनी धैर्यवान और सहनशील क्यों हो इस ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में !" चिड़िया ने उस मेहनतकश महिला से पूछा।

"किसने कहा कि हम अपनी उड़ान नहीं भर पाते ! अपनों की उपलब्धियाँ ही तो हमारी उड़ाने हैं ! और धैर्य और सहनशीलता तुम्हें दाना चुगाते और तुम्हें ऐसी आबोहवा में उड़ते देखकर ही तो सीखा है हमने !" महिला ने प्रत्युत्तर में कहा और फ़िर तेज़ हाथ चलाते हुए अपने काम में जुट गई।


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