15 अगस्त
15 अगस्त
अंग्रेज बहुत ही तेज व दूरदर्शी थे, तभी तो उन्होंने भारत की आजादी के लिए अगस्त का महीना ही चुना, इन दिनों भारत में बरसात का मौसम रहता है। बरसात के मौसम में कोई भी प्रोग्राम करने से बचता है। हो सकता है अंग्रेजों ने जानबूझ भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त का दिन ही तय किया हो, ताकि भारतीय कभी भी अपनी आजादी को बेहतर तरीके से सेलीब्रेट न कर पाएं। बारिश के चलते लाखों-करोड़ों का नुकसान झेले वह अलग। खुद ही सोच लीजिए अपनी आजादी के दिन को सेलीब्रेट करने के लिए कई दिनों की रिहर्सल व साज-सज्जा पर मिनट भर में बारिश के चलते पानी फिर जाता है, 15 अगस्त को हाथों में तिरंगा लहरा कर खुशी का इजहार करने का सपना संजोने वाले बच्चों के अरमान उस समय ध्वस्त हो जाते है, जब सुबह आंख खुलते ही दिखता है कि बाहर तो भारी बारिश हो रही है। मेरा कहने का मतलब यह है कि मौसम की नियत का तो सदियों से मालूम था, फिर अगस्त का महीना ही क्यों, आजादी के लिए बरसात के अलावा गर्मी या सर्दी का मौसम चुना जा सकता था। जहां सदियों गुलामी झेली वहां एक दो महीनों में क्या हो जाता। कम से कम भविष्य में बच्चों के अरमान तो परवान चढ़ते ही साथ ही लाखों करोड़ों के नुकसान से भी बचते। तभी तो कहा जाता है कि पलों ने की खता सदियों ने सजा पाई। बारिश की आशंका के चलते ही तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने स्टाफ को यह कहना पड़ा होगा कि जब वह लाल किले से देश को संबोधित करेंगे, तब अगर बारिश हुई तो उनको छाते से कवर न किया जाए। क्योंकि जब उनको सुनने वाले बारिश में भीग सकते है, तो वह क्यों नहीं।