हिम्मत...
मैं भी तुम्हारे जैसा एक इंसान ही था मेरे जीवन काल में मैंने पाप किए थे
तब हो जाएगा तुम्हारा कर्ज चुकता !"
बाबा ये सब अपनी बालकनी से देख रहे थे और सोच रहे थे कि बड़े लोग भी ऐसे फ़रिश्ते क्यों नही
उस दिन भी वह मेरे विचारों में आकर मुझे व्यथित करता रहा।
बिना कुछ सोचे समझे असमा घंटों तक उस औरत के गले लग के रोई