आज पता चला आप जैसे पैसे वालों के पास भी इंसानियत जिंदा है!
लेकिन इतने दिन लक डाउन के चलते उस के गुलदस्ते बेचने का काम बन्द हो गया था ।
आज इस लाक डाउन के समय में कुछ खूबसूरत दिनों को याद करते हैं
आवाज़ सुनकर बाहर से ही सास ने चिल्लाना शुरू कर दिया
खुद को जाने कैसे रोके हुऐ थी लेकिन आज विभा फूट फूट कर आख़िर रो ही दी ।
शाम की आरती के बाद हम सभी लोगो ने बैडमिंटन खेलने का विचार बनाया।