मेरे बेटे अनुराग का पहला जन्मदिन और सौ से भी ज्यादा मेहमान आये। कुछ मेरे मामाजी के परिव
बार बार भय नये सवाल के रूप में सामने आकर उसे ओर ज्यादा भयभीत कर रहा था।
अब समय ऐसा आ गया था की उन दोनों वृद्धजनो को भी अब इस बूढ़े होते घर घर में अकेले छोड़ा नहीं जा सकता था। ...
तुमने ये कैसे सोचा कि मैं मेरी शादी की वर्षगाँठ इस तरह से मनाऊँगी।
जो हमारे लिए अपनी जान लूटा देते हैं, हम उनके लिए चार कदम चल, सलाम भी न करे, वो फिर बोल उठा.... वन्दे मातरम्।
पूजा ने पहली बार रंग-पिचकारी-गुब्बारे लेकर सबके साथ रंग दिया पापा को, अपने मनमोहक रंगों से।