बस हाथ की चूड़ियाँ सहलाता रहा, यूँ जैसे कोई महबूब की जुल्फों में ऊँगलियाँ फिरा रहा हो।
बाजार में टमाटर 90 से 100 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहे हैं और हमें क्या मिल रहा ह
यही दीये बड़ी दुकानों में दोगुने दाम देकर लोग खरीदते हैं।
माँ: “कमरे में कहा जा रहा है ??” मैं: “थैला लेने !”
समझदार हैं आप समझ जाइए राजनीति वाली नहीं, इश्क वाली सरकार।
किसी तरह आस पड़ोस के काम करके वह घर चलाती थी।