प्रकृति के द्वारा शिव के जलाभिषेक कार्यक्रम निरंतर बना हुआ है
वे लोग विद्यालय में छुट्टी होने वाले रोजाना के तय समय-सीमा से लगभग साढे तीन घंटे लेट थे
अब जाड़े का भी अंत और पतझड़ का आरंभ हो गया।
दिन पर दिन बढते प्रदूषण के कारण ये सब हो रहा है ,
अगर मनुष्य जाति अब भी नहीं समझती है तो इसे आगे बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
पता नहीं मनुष्य क्या चाहता है हो सकता है इसीलिए प्रकृति ने अपना बदला लिया हो