लेखक : ऐना स्युअल ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
न मैं बच्ची बनना चाहती हूँ , न मैं अल्हड़ दिखता चाहती हूँ,मैं बच्ची बच्चों के साथ और अल्हड़ पति के साथ, मैं जैसी हूँ वैसे...
लेखक : ऐना स्युअल अनुवाद : आ. चारुमति रामदा
दिल करता है, चारों बच्चियों के साथ रेल की पटरी पर सो जाऊं!” कहते-कहते कमली फफक पड़ी।
लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
लड़की बहुत खुश हुई की वो इस गेम में जीत गयी,अर अपने पिता जी से कहने लगी देखिये सब कील से निकल गयी।