दो राहें एक तुम तक जाती हैं एक तुमसे लौट कर आती है। दो हसरतें , एक तुम्हारे पास
आँखें उसके सिंदूर और मंगलसूत्र पर अटकी थीं, वो आज फाइल के पन्नों में उलझी हुई थीं।
कब मेरी बेटी इतनी समझदार हो गई मुझे तो पता भी न चला ! आ जा भगवान के आगे माथा टेक कर खाना खा ले और पढ़ने बैठ जा कल परीक्ष...
नोक झोंक की आवाज पर ही अब वो भाभी के घर पहुँच जाया करेगी। कुछ नहीं तो डोर बेल तो बजेगी ही अब से।
नारी मन की गहराईयों में भावनाओं के कई रंग दफन होते हैं . नारी मन के अंतस को रेखांकित करती , उसके उजले शेड्स से परे ग्रे...
काश समाज को लाली थोड़ी शिक्षा भी दे पाती