जब दूरियाँ मिटीं तो यह जाना तुम एक भयावह समुद्र कहाँ हो तुम तो बस एक लहर-मात्र हो! जो बस कुछ दूर ... जब दूरियाँ मिटीं तो यह जाना तुम एक भयावह समुद्र कहाँ हो तुम तो बस एक लहर-मात्र...
कौन बाँट सकता है भला किसी के गम को दर्द अपना है, तो तकलीफ़ भी अपनी ही होगी " कौन बाँट सकता है भला किसी के गम को दर्द अपना है, तो तकलीफ़ भी अपनी ही होगी "