शीत-घाम-वर्षा सहते नित हंसकर हरा-भरा रखते ये वतन रूपी चमन। शीत-घाम-वर्षा सहते नित हंसकर हरा-भरा रखते ये वतन रूपी चमन।
करें शुद्ध वाणी और अंतःकरण, हरदम करते रहें प्रभु को स्मरण। करें शुद्ध वाणी और अंतःकरण, हरदम करते रहें प्रभु को स्मरण।
निज दायित्व निभाएं, रख निज जीवन सादा। निज दायित्व निभाएं, रख निज जीवन सादा।