अगणित कष्ट खुशी से सह कर, संवारती है पूरा घर-परिवार। अगणित कष्ट खुशी से सह कर, संवारती है पूरा घर-परिवार।
बन गई उन्हीं आंखों का तारा जिन्हें तुम्हें लाना भी न था गवारा बन गई उन्हीं आंखों का तारा जिन्हें तुम्हें लाना भी न था गवारा
शेष न रहने पर झूठ पेट भरने का नाटक ही कर खुद भूखी सो जाती है शेष न रहने पर झूठ पेट भरने का नाटक ही कर खुद भूखी सो जाती है