वो रोज की शैतानियाँ वो जिद वो नादानियाँ, वो प्यारे से सपने वो सपनों में अपने। आज भी याद हैे ....... वो रोज की शैतानियाँ वो जिद वो नादानियाँ, वो प्यारे से सपने वो सपनों में अपने।...
मां-बाप ने तो कोई ग़म का साया भी नज़दीक ना आने दिया, काश कि ग़म खुद ही खुद को भूल जाना सिखाया करता मां-बाप ने तो कोई ग़म का साया भी नज़दीक ना आने दिया, काश कि ग़म खुद ही खुद को भू...
दीदी हद से ज्यादा समझदार थी और है कुछ ज्यादा ही जिम्मेदार थी और है दीदी हद से ज्यादा समझदार थी और है कुछ ज्यादा ही जिम्मेदार थी और है