रत्नाकर जब मानेन नाही एन तौ सारेन अति व्यभिचारी रत्नाकर जब मानेन नाही एन तौ सारेन अति व्यभिचारी
छोड़ घर बाबुल का, पिया मिलन, को चली मैं। छोड़ घर बाबुल का, पिया मिलन, को चली मैं।