कुछ जग की, कुछ अंबर की, कुछ बातें मन की तेरी ! कुछ बातें मेरे मन की, शब्दों में ढ़लते रहती हूँ ! ... कुछ जग की, कुछ अंबर की, कुछ बातें मन की तेरी ! कुछ बातें मेरे मन की, शब्दों म...
जैसे नारी जेवरों से', करती श्रृंगार वैसे.. कविता अलंकार से, निखार पाती है..। जैसे नारी जेवरों से', करती श्रृंगार वैसे.. कविता अलंकार से, निखार पाती है..।
लगता है माँ ने सरहद पे ,लाल अपना फिर खोया है।। लगता है माँ ने सरहद पे ,लाल अपना फिर खोया है।।