निकले घर से मेहबूब ढूंढ़ने, फ़िर भी सोचे हालत क्या है। निकले घर से मेहबूब ढूंढ़ने, फ़िर भी सोचे हालत क्या है।
धड़कते हैं सांसों के सीने पता नहीं शाम थी कब और कब सुबह होती है, तूफां से कम नहीं होता वो लमहा जब ह... धड़कते हैं सांसों के सीने पता नहीं शाम थी कब और कब सुबह होती है, तूफां से कम नह...