थक गया हूँ समझदारी से, उस बचपन का फिर से रास्ता बता दो थक गया हूँ समझदारी से, उस बचपन का फिर से रास्ता बता दो
जो एक सीधे किसान सा मन को पल पल मृगतृष्णा में फँसाया करते हैं जो एक सीधे किसान सा मन को पल पल मृगतृष्णा में फँसाया करते हैं
हाँ पता है कि जाना है सभी को एक दिन, पर बेवक्त चले जाना, क्या गलत बात नहीं? हाँ पता है कि जाना है सभी को एक दिन, पर बेवक्त चले जाना, क्या गलत बात नहीं?
बेवक़्त बेवजह याद आती हो बेवक़्त बेवजह याद आती हो