प्राण पखेरू उड़ जाते हैं रह जाती है केवल कस्तूरी की मृगतृष्णा। प्राण पखेरू उड़ जाते हैं रह जाती है केवल कस्तूरी की मृगतृष्णा।
जीवन तेरी नाभि से सिंचित, और धमनी तेरी शोणित से, जीवन तेरी नाभि से सिंचित, और धमनी तेरी शोणित से,